आखिर चुनाव आते ही “टीर ” गांव के लोगों को क्यों आता है गुस्सा| पढ़िये पूरी खबर

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सिटी लाइव टुडे, कल्जीखाल
चुनावी मौसम में वायदों की बरसात होने लगी है। नेतानगरी पर करंट दौड़ गया है। गांव की चैखट तक नेता हाथ जोड़े पहुंच रहे हैं। विकास का लालच देकर वोट की गुहार लगायी जा रही है। लेकिन जनता स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रही है। उत्तराखंड का विकास कितना हुआ यह किसी से छिपा हुआ नहीं है। जनता का मूड खराब है इन नेताओं से। जनता के मन की बात जानने को सिटी लाइव टुडे मीडिया हाउस की टीम लगातार सीधे गांव के लोगों की व्यथा को जानने का प्रयास कर रही है।

जनपद पौड़ी के कल्जीखाल ब्लाक के असवालस्यंू पट्टी का एक गांव है टीर। इस गांव के लोगों के मन की बात का जिक्र इस खबर मंे किया जा रहा है। यह गांव पलायन की मार झेल रहा है। मूलभूत सुविधाओं की कमी और रोजगार के अभाव में यहां से लगातार पलायन हो रहा है। टीर के जागरूक नागरिक मनमोहन बताते हैं कि उत्तराखंड बनने के बाद उम्मीद थी कि यहां विकास की गंगा बहेगी। गांव के चैखट तक विकास की किरण पहुंचेगी। हर खाली हाथ को काम मिलेगा, लेकिन अफसोस कि ऐसा नहीं हुआ है। नेताओं ने केवल भाषणों मंे ही विकास किया है। इसी गांव के नरेंद्र बिष्ट, दीपक बिष्ट, रविंद्र रावत, विजय कुमार बताते हैं कि उत्तराखंड में भाजपा व कांग्रेस ने बारी-बारी से
सत्ता की कमान संभाली लेकिन केवल फाइलों में ही विकास हुआ है।

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जागरूक नागरिक व सामाजिक कार्यकर्ता शेखर सिंह, सुनील सिंह, शोभन सिंह, कोमल सिंह का कहना है कि विकास संबंधी योजनाओं में कमीशनखोरी ने बंटाधार किया है। टीर की माला देवी, यशोदा देवी, बेबी कुमारी, सुनीता देवी, मंजू देवी, गुड्डी देवी बताती हैं कि चुनाव के वक्त विकास की बातें होती है फिर चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात।

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