कोटद्वार|”कैंडिडेट लेबोरेटरी” बना भाजपा ने खेला जोखिम भरा दांव|वरिष्ठ पत्रकार अजय रावत

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सिटी लाइव टुडे, वरिष्ठ पत्रकार अजय रावत

जिस लड़ाके को भाजपा ने यमकेश्वर के बीहड़ रण में कमजोर पाया, उसी को कोटद्वार के सुगम मैदान में जंगजू बना उतार कर एक एक्सपीरिअमेन्ट किया है। हालांकि सियासत की टोपोलॉजी में सुगम दुर्गम पहाड़ या मैदान के पैमाने से तय नहीं किये जाते, सियासत में प्रपंच ही सुगम दुर्गम तय करते हैं।
जरनल-सुता ऋतु को कोटद्वार भेजने के पीछे एक कारण भाजपा हाई कमान पर तथाकथित रूप से ब्राह्मण वर्ग की उपेक्षा का दबाव माना जा रहा है। यदि पब्लिक डोमेन में यह कारण तैरेगा तो निश्चित रूप से यह भाजपा के लिए उल्टा दांव भी साबित हो सकता है, क्योंकि सियासत में नकारात्मक पहलू जल्द असर दिखाते हैं।

वहीं यह भी माना जा रहा है कि ऋतु को मैदान में उतारकर भाजपा को उम्मीद है कि कोटद्वार की जनता शायद 2012 के अपने फैसले पर पश्चाताप कर सहानुभूति का आशीर्वाद ऋतु भूषण खण्डूरी को दे दे, वहीं सैनिक व पूर्व सैनिक बहुल इस सीट पर जरनल खण्डूरी के असर को भी पार्टी भुनाने की मंशा रखती होगी। यह देखना भी रोचक होगा कि क्या जरनल पुत्र मनीष सुरेंद्र नेगी के पक्ष में प्रचार को कोटद्वार आते हैं अथवा नहीं,


कुल मिलाकर भाजपा ने कोटद्वार में एक रोचक दांव खेला है, इस दांव की सफलता चुनावों में भाजपा संगठन की प्रत्याशी के लिए एकजुट होकर कार्य करने पर ही निर्भर है। वहीं स्थानीय मुद्दों को बुनियाद बनाकर भजपा प्रत्याशी एन्टी इनकमबेंसी के तीर को मेयर की तरफ कितना उछाल सकती हैं।

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बेहद सीमित क्षेत्रफल में सिमटी इस विधानसभा में एक सप्ताह में बहुत बड़ी तब्दीलियां करना असंभव नहीं है, 3 दशक से यहां कांग्रेस के बटवृक्ष बने सुरेंदर सिंह को यदि ऋतु खण्डूरी शिकस्त देने में कामियाब होती हैं तो यह किसी चमत्कार से कम नहीं होगा, वहीं कोटद्वार में कांग्रेस के पूरक बने सुरेंद्र नेगी के स्थान पर कांग्रेस में नई धारा के नेतृत्व उभरने के रास्ते भी खोलेगा।

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