ऋषिकेश|कांग्रेस को पुरानों पर यकीन नहीं|युवा चेहरे पर भरोसा| भगवान सिंह रावत| ऋषिकेश

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सिटी लाइव टुडे, भगवान सिंह रावत, ऋषिकेश


ऋषिकेश विधानसभा सीट पर कांग्रेस को पुराने नेताओं पर यकीन नहीं है। इसे ऐेसे भी कहा जा सकता है कि पुराने नेता कांग्रेस को विश्वास में नहीं ले पाये। जो कह लीजियेगा लेकिन ऋषिकेश सीट पर कांग्रेस ने इस बार युवा चेहरे पर दांव खेला है। जयेंद्र रमोला कांग्रेस प्रत्याशी घोषित किये गये हैं। जबकि लगातार 15 वर्षों से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत रहे प्रेमचंद्र अग्रवाल भाजपा प्रत्याशी हैं।
2017 का चुनाव जीतने के बाद विधानसभा अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन उत्तराखंड की विधानसभा में किया है।
सीधे शब्दों में कहा जाये तो ऋषिकेश सीट पर कांग्रेस ने पुराने नेता को दरकिनार किया है।


टिकट की दावेदारी करने वाले अनुभवी नेता जो 2007 के चुनाव में प्रेमचंद्र अग्रवाल से पराजित हुए थे ,शूरवीर सिंह कांग्रेस की सरकार में कबीना मंत्री भी रहे हैं और दूसरे दावेदार रहे राजपाल खरोला 2017 के उम्मीदवार को दरकिनार कर कांग्रेस नेतृत्व ने युवा नये चेहरे पर दांव खेला है जहां जयेंद्र रमोला कांग्रेस की राजनीति में भले ही बड़ा नाम ना रहे हो लेकिन स्थानीय स्तर पर युवाओं के बीच में उनकी छवि दल गत नेता से ऊपर की रही है अब देखना यह होगा कि ऋषिकेश विधानसभा क्षेत्र के मतदाता इस बार क्या रुख अपनाते हैं क्या उन्हें बदलाव की बयार बहाना पसंद होगा या फिर कमल के फूल को ही दोनों हाथों से थामने का मन बनाया होगा

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वर्तमान विधायक भाजपा के प्रत्याशी जहां ग्रामीण क्षेत्रों में सीसी मार्ग और लाइटिंग की व्यवस्था करने से रूलर एरिया में अपनी स्थिति मजबूत बनाने में कामयाब रहे हैं वहीं उनके द्वारा ऋषिकेश शहर की ज्वलंत समस्याओं मल्टी स्टोरी पार्किंग संजय झील का निर्माण हो या फिर शहर की सड़कों का चैड़ीकरण इस मामले में ऋषिकेश मुख्य शहर के प्रति उनका योगदान ना काफी ही समझा जाएगा। त्रिवेणी घाट पर जलधारा की समस्या हर बरसात में होती है और हर बार इसका स्थाई हल निकालने की बात कही जाती है जो कि पिछले 3 कार्यकाल में परवान नहीं चढ़ पाया। शहर के बीचोंबीच एक अदद पार्किंग की व्यवस्था भी ऋषिकेश की मूलभूत सुविधाओं में शामिल है। हां व्यापारी वर्ग को अतिक्रमण के मामले में सह देने के आरोप उन पर यदा-कदा सोशल मीडिया पर लगते रहे हैं। अब देखना यह है कि ऋषिकेश की जनता किसके हाथ में बागडोर सौंपती है

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