मकर संक्रांति| स्थान परिवर्तन कर रहे हैं सूर्य नारायण| प्रस्तुति-आचार्य पंकज पैन्यूली

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सिटी लाइव टुडे, प्रस्तुति-आचार्य पंकज पैन्यूली


सृष्टि को ओज व तेज देने वाले धरती के प्रत्यक्ष भगवान सूर्य नारायण स्थान परिवर्तन कर रहे हैं। भाष्कर देव दक्षिणायन से उत्तरायण होंगे। इस शुभ दिन व घड़ी को मकर संक्रांति कहते हैं। 14 जनवरी 2022 को मकर संक्रानि प्रवेश काल दोपहर 2 बजकर 29 मिनट व संक्रान्ति पर्व समय प्रातः 08बजकर 05 मिनट है। कुछ राशियों के लिये यह दिन बेहद खास है।


ज्योतिष शास्त्रानुसार पौष मास में सूर्य का धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश होने को ही मकर संक्रान्ति का पर्व माना जाता है। वस्तुतःसंक्रान्ति का अर्थ है सूर्य का राशि परिवर्तन या संक्रमण अर्थात एक राशि से दूसरी राशि में जाना। वैसे सूर्य का प्रति महीने एक राशि से दूसरी राशि में संक्रमण होता है। जिसे संक्रान्ति कहा जाता है। लेकिन सूर्य का मकर राशि में संचरण अर्थात मकर संक्रान्ति का पर्व हिन्दुओं के प्रमुख पर्वों में एक है। इस दिन जपए तपए दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाओं का विशेष महत्व है। ऐसी धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुनरू प्राप्त होता है। इस दिन शुद्ध घी एवं कम्बल का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है। जैसा कि निम्न श्लोक से स्पष्ठ होता माघे मासे महादेवरू यो दास्यति घृतकम्बलम। स भुक्त्वा सकलान भोगान अन्ते मोक्षं प्राप्यति॥


विस्तारपूर्वक जानते हेैं,कि मकर संक्रान्ति का धार्मिक, पौराणिक व वैज्ञानिक महत्व क्या है।
तथा किन-किन राशियों के लिए मकर राशिगत सूर्य का प्रभाव शुभ हेै। साथ ही जानेंगे कि मकर संक्रान्ति के पर्व को भारत के विभिन्न प्रान्तों में किस-किस नाम से जाना जाता है।
इस क्रम में सबसे पहलेः मकर संक्रान्ति का धार्मिक महत्व पुराणों के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य अपने पुत्र शनि के घर एक महीने के लिए जाते हैं। ;ज्योतिषानुसार मकर राशि शनि की राशि है और सूर्य एक महीने इसी मकर राशि में रहेेंगे। हालांकि ज्योतिषीय दृष्टि से सूर्य और शनि को एक दूसरे का शत्रु माना गया हैए लेकिन इस दिन सूर्य खुद अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। इसलिए पुराणों में यह दिन पिता.पुत्र के संबंधों में मधुरता लाने व निकटता की शुरुआत के रूप में भी जाना जाता है।
इस दिन भगवान विष्णु ने मधु कैटभ से युद्ध की घोषणा की समाप्ति की थी।
-सूर्य जब दक्षिणायन में रहते हैं तो उस अवधि को देवताओं की रात्रि व उत्तरायण में सूर्य के रहने पर देवताओं के दिन माना जाता है। यही कारण है कि सारे षुभ कार्य विवाह आदि उत्तरायण में ही होते है।

जिन राशियों के लिए मकर राशिगत सूर्य का प्रभाव शुभ रहेगा उन राशियों के नाम-मेष, मिथुन, कर्क,सिंह, कन्या, धनु, मकर, कुम्भ और मीन। इनभी राषि वालों के लिए मकर राषिगत सूर्य शुभ रहेंगे।


महाभारत के अनुसार भीष्म पितामह ने स्वेच्छा से अपनी देह त्यागने के लिये मकर संक्रान्ति का दिन ही चुना था।ऐसी मान्यता है कि उत्तरायण में देह त्यागने वाले व्यक्ति को मोक्ष मिलता है। वह जन्म मरण के बन्धन से मुक्त हो जाता है।
.ऐसी भी मान्यता है कि आज ही के दिन अर्थात मकर संक्र्रान्ति को ही गंगा जी राजा भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न हुई ओैर कपिल मुनि के शाप से ग्रसित उनके 60 हजार पूर्वजों का तारण करने हेतु,उनके पीछे.पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थी। इसीलिए आज के दिन गंगा स्नान व तीर्थस्थलों पर स्नान दान का विशेष महत्व माना गया है।
मकर संक्रान्ति के दिन पितरों के तर्पण का भी विधान है। इस दिन पितृ करने से पितरों का आर्षीवाद प्राप्त होता है।

मकर संक्रांति का वैज्ञानिक और ज्योतिषीय महत्व . सामान्यतः सूर्य सभी राशियों को प्रभावित करते हैंए किन्तु कर्क व मकर राशियों में सूर्य का प्रवेश अत्यन्त महत्वपूर्ण है। यह प्रवेश अथवा संक्रमण क्रिया छरू.छरू माह के अन्तराल पर होती है।


मकर संक्रान्ति से पहले सूर्य दक्षिणी गोलार्ध के निकट होता है अर्थात् उत्तरी गोलार्ध से दूर होता है फलस्वरूप उत्तरी गोलार्ध में रातें बड़ी एवं दिन छोटे होते हैं तथा सर्दी का मौसम होता है। लेकिन जब सूर्य मकर संक्रान्ति से उत्तरी गोलार्ध की ओर आना शुरू हो जाता है। तो इस इस दिन से उत्तरी गोलार्ध में रातें छोटी एवं दिन बड़े होने लगते हैं। तथा -धीरे तापमान में भी गर्मी बढ़नी शुरू होने लगती है।

मकर संक्रान्ति के दिन क्या करें– संक्रान्ति के दिन गंगा स्नानए सूर्योपासना व तीर्थ स्थलों पर स्नान दान विशेष पुण्यकारी होता है। ऐसी धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुनरू प्राप्त होता है। मकर संक्रान्ति के अवसर पर गंगा स्नान एवं गंगा तट पर दान,पितृ तर्पण आदि करना अति शुभ माना गया है। इस पर्व पर तीर्थ राज प्रयाग,हरिद्वार,कुरूक्षेत्र आदि स्थानों में स्नान को महास्नान की संज्ञा दी गई है। मकर संक्रांति के दिन तिल का बहुत महत्व है। कहते हैं कि तिल मिश्रित जल से स्नानए तिल के तेल द्वारा शरीर में मालिशए तिल से ही यज्ञ में आहुतिए तिल मिश्रित जल का पानए तिल का भोजन इनके प्रयोग से मकर संक्रांति का पुण्य फल प्राप्त होता है और पाप नष्ट हो जाते हैं। अतः उपरोक्त विधि से स्नान व दान पुण्य आदि धार्मिक क्रिया मकर संक्रान्ति के दिन अवष्य करनी चाहिए। गंगातट के अभाव में गंगा आदि तीर्थों का मानसिक स्मरण कर स्नान के जल में गंगाजल डालना भी पुण्यदायी माना जाता है।

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अलग.अलग राज्यों में मकर संक्रांति –उत्तर भारत में इस पर्व को मकर सक्रान्ति पंजाब में लोहडी गढ़वाल में खिचडी संक्रान्ति गुजरात में उत्तरायण तमिलनाडु में पोंगल, जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति कहते हैं।
जिन राषियों के लिए मकर राशिगत सूर्य का प्रभाव शुभ रहेगा उन राशियों के नाम-मेष, मिथुन, कर्क,सिंह, कन्या, धनु, मकर, कुम्भ और मीन। इन सभी राशि वालों के लिए मकर राषिगत सूर्य शुभ रहेंगे।

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