जनपद पौड़ी| उलझन इधर भी है तो उधर भी|साभार-वरिष्ठ पत्रकार अजय रावत
सिटी लाइव टुडे, साभार-वरिष्ठ पत्रकार अजय रावत
ज्यों ज्यों समय बीतता जा रहा है, प्रत्याशियों को लेकर रार दोनों दलों में बढ़ती जा रही है। शुरुआत में सिटिंग विधायकों के खिलाफ नज़र आ रहा तीखा विरोध कांग्रेस को 20 साबित कर रहा था लेकिन जनपद की चार सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी चयन का मामला उलझने से कांग्रेस की शुरुआती बढ़त वाला मनोबल निश्चित रूप से कम होता जा रहा है।
पौड़ी(सुरक्षित): भाजपा जबरदस्त पशोपेश में, समय बीतता जा रहा तो 3 मुख्य दावेदारों की फेहरिस्त में और नाम भी जुड़ रहे। विजय लक्ष्मी कोटवाल और गणेश चन्द्र भी नए एंगल बनाने लगे हैं। कांग्रेस में हरीश रावत, प्रीतम सिंह गुट की कहानी के साथ नैपथ्य से गोविंद कुंजवाल व महिला वाला भी सामने आ रहा है। कुल मिलाकर दोनों दलों के आकाओं के माथे पर पसीना आना तय है।
श्रीनगर: यहां दोनों दलों में प्रत्याशी घोषित करना अब सिर्फ औपचरिकता।
चौबट्टाखाल: कांग्रेस जबरदस्त उलझन मेँ, राजपाल बिष्ट स्वाभाविक दावेदार होने के बावजूद अभी तक आश्वस्त नहीं। केशर की दिल्ली दौड़ भी मुकम्मल अंजाम का संकेत नहीं दे रही। वहीं चार स्थानीय दावेदारों की जुगलबंदी से हाई कमान जबरदस्त उहापोह में, जिनकी बात खारिज करना हाई कमान के लिए आसान नहीं । भाजपा में टिकट तकरीबन फाइनल लेकिन लगता है स्वयं टिकट पाने वाले अभी असमंजस में हैं। लेकिन कांग्रेस की यह उहापोह की स्थिति भाजपा को अपनी स्थिति सुधारने का अवसर दे सकती है।
लैंसडौन: भाजपा के लिए यहां बिन बुलाए आफत आन पड़ी है, महंत जी स्वाभाविक प्रत्याशी थे, लेकिन बाज़ीगर नेता जी की पुत्र बधू यहां न केवल महंत बल्कि कांग्रेस के दावेदारों की नींद उड़ाए हुई हैं। कांग्रेसी दावेदार भी इस सोच में हैं कि कहीं नेताजी कुनबा सहित इस डाल में न बैठ जाएं। बहरहाल यहां भाजपा के विधायक व कांग्रेस के दावेदार फिलहाल टिकट के मोर्चे पर ही जूझ रहे हैं। जबकि नई नवेली अपने प्रचार कार्यक्रम में तल्लीन हो चुकी हैं। देखना है बज्रपात किस तरफ के दावेदारों के अरमानों पर गिरता है।
यमकेश्वर: जहां कांग्रेस से दो ही नाम फलक पे थे, एक शैलेन्द्र तो दूसरा महेंद्र, लेकिन सियासी चर्चाओं ने दबी जुबान से मनीष खंडूरी एंगल भी जोड़ दिया है। इसलिए कांग्रेस की उलझन अब गहरी हो चली है। मनीष खंडूरी एंगल भाजपा की उलझन का कारण भी बन गया है। भाई-बहन शायद ही आमने सामने हों, यानी इस सीट पर प्रत्याशी चयन दोनों दलों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।
कोटद्वार: कांग्रेस बेफिक्र, कोई उलझन कोई रार नहीं। भाजपा के लिए सबसे बड़ी परीक्षा इस सीट पर। लोकल प्रोडक्ट पर दांव खेलना जोखिम भरा, लोकल लेबल पर करीब तीन से चार समांतर क्षमता दर्शाने वाले दावेदार। इम्पोर्ट भी करें तो कांग्रेस के लोकल प्रोडक्ट का मुकाबला करने को शायद ही कोई हामी भरे। कुल मिलाकर इस सीट पर सैन्य विज्ञान के प्रोफेसर के युद्ध मैदान छोड़ने के अनौपचारिक ऐलान ने भाजपा के लिए बिन बुलाई आफत खड़ी कर डाली है।
आईये, इंतज़ार कीजिये शायद मकर संक्रांति की पावन बेला पर कुछ उलझने सुलझ कर हमारे सामने हों.. बहुत संभव है कि भाजपा के “पैनल” और कांग्रेस के “स्क्रीनिंग कमिटी” की खोखली हकीकत सामने होगी, ऐसे नाम फेहरिस्त में होंगे, जिनसे दावेदार क्या कार्यकर्ता और सभी सियासी पंडित हक्के बक्के होंगे।