” चखुल्या बाघ” ने छोड़ा भगवा पेड़ तो खलबली इधर भी तो उधर भी| वरिष्ठ पत्रकार अजय रावत
सिटी लाइव टुडे, वरिष्ठ पत्रकार-अजय रावत
चर्चा गर्म है कि उत्तराखंड की सियासत के आसमान में मस्तमौला परवाज़ भरने वाले ये “चखुल्या बाघ” एक बार फिर आशियाना बदलने को दूसरे दरख़्त तक उड़ान भरने की फ़िराक में हैं। यदि ऐसा होता है तो दोनों दरख्तों का भरभराना तय है, दोनों दरख्तों के परिंदों में खलबली तय है। बेशक इस भारी भरकम परिंदे को मन माफिक आशियाँ मयस्सर तो हो जाएगा लेकिन दोनों दरख्तों में परिंदों के दरमियान एक नई जंग भी शुरू होना लाजिमी है।
पहली स्थिति में लैंसडौन में न केवल भाजपा के मौजूदा विधायक का मायूस होना तय है तो इनके उड़ने की दशा में कांग्रेस में जमीनी नेता जो 5 साल से दिन रात एक किये हैं, उनके साथ कुठाराघात भी तय है। क्योंकि सुना है छुटि चखुली हर हाल में लैंसडौन में घोसला बनाने की कोशिश करेगी , घास तिनके सब इकट्ठा कर लिए गए हैं कि। ये उड़ते हैं तो कोटद्वार यमकेश्वर भी हिलता है ये उड़ते हैं तो आंधी डोईवाला से सहसपुर से केदारनाथ रुद्रप्रयाग तक डाल डाल को हिलाएगी। पत्ते धड़ाधड़ गिरने लगेंगे। झटके जड़ों तक को चरमरा देंगे,,, न जाने नए दरख़्त को फायदा होता है या नुकसान..? यह भविष्य के गर्त में है।
बहरहाल, यह अवश्य कहा जा सकता है कि यह भगवा पेड़ से फुर्र हो दूसरे पेड़ पर बैठते हैं तो उस पेड़ में परिंदों के बीच “इनफाइट” यानी रार बढ़नी तय है जो उस पेड़ की सेहत के लिए शायद ही सुकून भरी हो..वैसे सुना है बूढ़े गिद्धों को इनकी परवाज़ कतई पसन्द नहीं..देखते हैं..