आओ करें खेतों की जुताई और फिर होगी बुआई| जयमल चंद्रा की रिपोर्ट
सिटी लाइव टुडे, जयमल चंद्रा, द्वारीखाल
पहाड़ का जीवन वाकई विकट और मेहनतकश है। यूं कहें कि पहाड़ के वाशिंदे हाडतोड मेहनत करके खूब पसीना बहाते हैं। सालभर मेहनत ही तो करते हैं। यह भी एक प्रमुख वजह मानी जाती है पहाड़ के लोगों के उत्तम सेहत की।
इन दिनों पहाड़ के मेहनतकश लोग खेतों की जुताई करने लगे हैं। पहाड़ में इन दिनों रबी की फसल की तैयारी होने लगी है। दरअसल, रबी की फसल में गेंहू, जौ, सरसों, सब्जी, आलू, प्याज लहसुन आदि को शामिल किया जाता है।
इन दिनों पहाड़ के मेहनतकश लोग खेतों की जुताई कर रहे हैं। सर्द मौसम में पसीना बहाया जा रहा है तो ठंड अपने आप ही छूमंतर हो जा रही है। नजारा एकदम अलग है। खेतों में हल और बेलों से जुताई होने लगी है। ग्रामीण खेतों की जुताई कर रहे हैं। जैविक खेती प्रशिक्षक जयमल चंद्रा बताते हैं कि जुताई करने के बाद कुछ दिन खेतांे को ऐसे ही छोड़ दिया जाता है। इससे खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। कुछ ही दिनों के बाद रबी की फसलों की बुआई हो जायेगी। पौड़ी जनपद के डुंक गांव के ग्रामीण कुलदीप सिंह रौथाण बताते हैं कि इन दिनों में खेतों की जुताई हो रही है। इसके बाद रबी की फसल की बुआई होगी।