‘नदी को जानो’ विजेताओं को एक लाख तक का पुरस्कार देगी आरएफआर फाउंडेशन | विकास श्रीवास्तव की रिपोर्ट

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भारतीय शिक्षण मंडल प्रेरित संस्था रिसर्च फॉर रिसर्जन्स फाउंडेशन ने अखिल भारतीय स्तर पर ‘नदी को जानो’ प्रतियोगिता का आयोजन किया है। जिसमें प्रतिभागी संस्थाओं को एक लाख तक का पुरस्कार मिलेगा। प्रतियोगिता में सम्मिलित होने की अंतिम तिथि 31 अक्तूबर 2021 है। प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण इस लिंक https://conferencebsm.com/nkj पर करना होगा।


रिसर्च फॉर रिसर्जन्स फाउंडेशन मानवता एवं पर्यावरण की रक्षा के लिए सभी क्षेत्रों में वैज्ञानिक, तकनीकी और शैक्षणिक अनुसंधान के द्वारा समाधान प्रदान करने का कार्य करता है। भारतीय शिक्षण मंडल, भारत केंद्रित भारतीय शिक्षा व्यवस्था का प्रादर्श (मॉडल) तैयार करने के उद्देश्य से कार्य करता है। किस तरह हमारे पड़ोस की नदी खत्म हो गयी, किस तरह नदी नाले में, कहीं-कहीं तो उनपर कालोनियां तक बसा दी गईं। इन्हीं विषयों को देखते हुए प्रतियोगिता का आयोजन नदियों के प्रति जन जागृति लाने, उनके संरक्षण, पर्यावरण से युवा शक्ति को जोड़ने के उद्देश्य से किया गया है।


प्रतियोगिता को दो स्तरों पर बाटा गया है। एक संस्थागत दुसरा व्यक्तिगत। संस्थागत में विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय एवं अन्य स्वयंसेवी संस्थानों के विद्यार्थी, शोधार्थी, शिक्षक और कार्यकर्ता भाग ले सकते हैं। संस्थागत श्रेणी में हर संस्था से न्यूनतम 250 प्रतिभागियों की संख्या अपेक्षित है। जिसके लिए मात्र  25 रुपये की सहयोग राशि देनी होगी। संस्थागत स्तर पर प्रतियोगिता विजेताओं को क्रमशः जल संरक्षक एक लाख रुपए, जलोपासक 51 हजार रुपए और जल साथी को 21 हजार रुपए की पुरस्कार राशि मिलेगी।

जबकि व्यक्तिगत श्रेणी में 18 वर्ष की आयु तक के प्रत्येक राज्य से जल बाल मित्र को 5 हजार रुपये, 18 से 25 वर्ष आयु तक के प्रत्येक राज्य से जल युवामित्र को 5 हजार रुपये एवं 25 वर्ष आयु से ऊपर प्रत्येक राज्य से जल मित्र को 5 हजार रुपये पुरस्कार राशि के रुप में दिए जाएंगे। प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए https://conferencebsm.com/nkj की वेबसाइट पर पंजीकरण करना होगा। प्रतिभागियों को नदी के भौगोलिक, सांस्कृतिक, पुरातात्विक दृष्टि से उसकी संपूर्ण जानकारी जिसमें उद्गम स्थल से लेकर विलय स्थल तक की जानकारी जीपीएस लोकेशन के साथ प्रदान करनी है।

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जल ही जीवन है। मानव शरीर का 70 प्रतिशत भाग जल से निर्मित है। विश्व की सभी सभ्यताओं का विकास नदियों के किनारे हुआ है। इसीलिए नदियों को जीवन संवाहक की संज्ञा दी गई है। वर्तमान में नदियों की स्थिति दयनीय हो चली है। जिसका सबसे बड़ा कारण समाज का नदियों के प्रति उदासीन होना है। यह प्रतियोगिता ‘नदी को जानो’ समाज और युवा पीढ़ी को उनके नदियों के बारे में सीमित ज्ञान को बृहत रुप देकर नदियों से सीधे जोड़ने के उद्देश्य से आयोजित हुई है। नदियां पर्यावरण के पारिस्थितिक तंत्र की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी हैं। इनकी उपेक्षा मानव की अपने अस्तित्व की लड़ाई के साथ चुकाना होगा। जल है तो कल है।

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