नो-टेंशनः लाॅक-डाउन में ऐसे मनायें अक्षय तृतीया

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-अक्षय फलदायिनी होता है अक्षय तृतीया का पर्व
-इस बार बन रहा है विशेष योग, सहस्रोगुना मिलेगा फल
-अक्षय तृतीया को ही खुलते हैं बद्रीनाथ के कपाट
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ज्योतिषाचार्य डा विपुल देव, मोबाइल, 8279719053 व 9897105622


अक्षय तृतीया पर्व द्वार खड़ा है और लाॅक-डाउन। निश्चित ही दुविधा में होंगे कि आप आखिर अक्षय तृतीया पर्व कैसे मनायें। लेकिन दुविधा छोडियेगा लाक-डाउन में भी अक्षय तृतीया पर्व आस्था और विश्वास से मनाइये। विस्तार से बता रहे हैं ज्योतिषाचार्य डा विपुल देव गोल्ड मेडलिस्ट। पेश है सिटी लाइव टुडे की यह बेहद खास रिपोर्ट।


अक्षय तृतीया का धार्मिक महत्व

धर्म शास्त्रों में बैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिवस को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाता है। अक्षय यानि जिसका कभी क्षय नहीं हो। कहने का मतलब यह कि अक्षय तृतीया अक्षयसुख और अक्षय सौभाग्य पदायक कही जाती है।


इस बार बन रहा खास संयोग, बद्रीनाथ के कपाट खुलेंगे

ज्योतिषाचार्य डा विपुल देव ने बताया कि इस बार अक्षय तृतीया का खास दिवस व तिथि 14 मई-2021 को शुक्रवार के दिन है। शुक्रवार को धन की देवी लक्ष्मी जी का दिवस माना जाता है। ज्योतिषाचार्य डा विपुल देव बताते हैं कि ज्योतिष गणना के अनुसार प्रातः 5 बजकर 45 तक रोहिणी नक्षत्र और इसके बाद मृगशिरा नक्षत्र होने से इस बार अक्षय तृतीया का महत्व सहस्रो गुणा अधिक बढ़ गया है। इस तिथि की गणना युगादि तिथियों में की जाती है क्योंकि त्रेतायुग युग का श्रीगणेश इसी तिथि को हुआ था। भगवान श्रीहरि के अवतार परशुराम का जन्म भी इसी दिन हुआ था। अक्षय तृतीया को ही नारायण और हयग्रीव का भी अवतार हुआ था। उन्होंने बताया कि बद्रीनाथ के कपाट भी इसी दिन खुलते हैं। इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों अपनी उच्चराशि में विराजमान होते हैं। अक्षय तृतीया को स्वयं सिद्ध मुहूर्त कहा जाता है। इसी ज्योतिषीय योग के कारण अक्षय तृतीया को किया गया कोई भी कार्य अक्षय फल देता है। मनुष्य को जिस प्रकार की अभिलाषा हो अक्षय तृतीया को उसी प्रकार का कार्य करे। जैसे यदि किसी व्यक्ति को धन की अभिलाषा हो तो वह स्वर्ण संग्रह करे। जिसे प्रभु भक्ति की अभिलाषा हो वह नारायण जी का जाप करें और सुयोग्य ब्राह्मणों को दान करें।


लाॅक-डाउन में अक्षय तृतीया

ज्योतिषाचार्य डा विपुल देव बताते हैं कि लाक-डाउन में भी आसानी से अक्षय तृतीया का फल प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि समस्या यह है कि लाक-डाउन में स्वर्ण आदि का संग्रहण करें तो कैसे। इस दुविधा का समाधान बताते हुये ज्योतिषाचार्य डा विपुल देव ने कहा कि आपके पास जो भी स्वर्ण के आभूषण हैं उन्हें प्रातः शुद्धतापूर्वक गंगाजल से धोकर वस्त्र में हल्दी से स्वास्तिक चिन्ह बनाकर रखें और इस पर कुछ हल्दी और कुछ अक्षत यानि चावल चढ़ायें। इसके बाद लक्ष्मी-नारायण जी का ध्यान-पूजन कर पुनः लाॅकर में रख देें और अक्षय होने की प्रार्थना करें। इसके अलावा गंगा मैया का स्मरण कर स्नान करें। व्रत करें, अनाज, नव-संवत्सर का पंचांग ब्राह्मणों का दान करें।

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यह भी है विधि


-भक्ति हेतु गीता के बारहवें अध्याय का पाठ करें।
-पितरों के मोक्ष हेतु-गीता के आठवें व ग्यारहवें अध्याय का पाठ करें।
-लक्ष्मी प्राप्ति हेतु-ओम श्री ह्मीं श्रीं कमलाकमलाये नमः प्रसीद, प्रसीद मंत्र का जाप करें।
-ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जाप करें।
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