Haridwar News..E.N.T संबंधित रोगों के लक्षण, कारण व निवारण पर दी उपयोगी जानकारी| Click कर पढ़िये पूरी News

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सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस-हरिद्वार

विश्व आयुर्वेद परिषद, उत्तराखंड की ओर से आयोजित संगोष्ठी एवं कार्यशाला में नाक, कान व गला रोगों के लक्षण, कारण व निवारण पर उपयोगी जानकारी साझा की गयी। विशेषज्ञों ने आयुर्वेद व प्राकृतिक चिकित्सा के जरिये नाक, कान व गला संबंधित तमाम रोगों के उपचार की विधियों को सरल तरीके व विस्तार से बताया। मुंबई के आयुर्वेद कॉलेज की प्रोफेसर सुनीता मागर समेत अन्य चिकित्सकों ने उपयोगी जानकारी भी दी गी और कई मरीजों का मौके पर ही उपचार भी किया।


रविवार को हरिद्वार स्थित रुक्मणी राम चैरिटेबल ट्रस्ट विष्णु गार्डन हरिद्वार में उक्त कार्यक्रम हुआ। इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में मुंबई के आयुर्वेद कॉलेज की प्रोफेसर सुनीता मागर ने नाक, कान एवं गले के रोगों में अग्निकर्म एवं विद्ध कर्म चिकित्सा पद्धति के प्रयोग को प्रत्यक्ष कराया। डॉ मागर ने बताया कि आयुर्वेद में नाक कान एवं गले के रोगों के अनेक गंभीर रोगों का समाधान है। बेगूसराय उत्तर प्रदेश से पधारे नाक कान गला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर मुन्ना कुमार ने टॉन्सिलाइटिस, फैरिंजाइटिस बहरापन, गंध महसूस ना कर पाना आदि रोगों की आयुर्वेद चिकित्सा के बारे में व्याख्यान दिया। कार्यशाला में 86 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया।

रुड़की के मदरहुड कॉलेज से डा चित्रा कपूर, उत्तरांचल आयुर्वेद कॉलेज, देहरादून से डॉ मोनिका शर्मा और हिमालय आयुर्वेद कॉलेज, देहरादून से डॉ रंजना नेगी,देवभूमि आयुर्वेद कॉलेज से डॉ दीप्ति नेगी शिवालिक आयुर्वेद कॉलेज से डॉ आंचल उत्तरांचल आयुर्वेद कॉलेज से डा सोनाली पुरोहित ने कार्यक्रम में सहयोग किया।

कार्यशाला में विश्व आयुर्वेद परिषद के राष्ट्रीय मार्गदर्शक प्रोफेसर प्रेमचंद शास्त्री, उत्तराखंड प्रांत के अध्यक्ष प्रोफेसर उत्तम कुमार शर्मा उत्तराखंड के सचिव डॉ विपिन अरोड़ा, जिला हरिद्वार के उपाध्यक्ष डॉ अभिषेक सक्सेना, चिकित्सा प्रकोष्ठ के प्रभारी डॉ आशीष मिश्रा हरिद्वार के चिकित्सा प्रकोष्ठ के प्रभारी डॉ सुधींद्र शर्मा कार्यक्रम में उपस्थित रहे। कार्यशाला के आयोजन सचिव एवं शालाक्य परिषद के संयोजक डॉ अरुण कुमार ने बताया कि इस कार्यशाला में आयुर्वेद के चिकित्सकों एवं विद्यार्थियों को शालाक्य की चिकित्सा विधियों की विशेष जानकारी दी गई दी गई है।

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इस अवसर पर गुरूकुल कांगड़ी विवि के मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डा अरूण कुमार ने भी आयुर्वेद की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कार्यक्रम की सराहना करते हुये कहा कि ऐसे आयोजन जागरूकता भी लाते हैं और रोगों का उपचार करने में भी अहम भूमिका निभाते हैं।

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इस एकदिवसीय कार्यशाला में गुरुकुल आयुर्वेद कॉलेज की डॉ पल्लवी भूषण, ऋषिकुल आयुर्वेद कॉलेज की डॉ प्रियंका, डा सुधींद्र शर्मा, डा ज्योति शर्मा, प्रतिभा जोशी समेत कई लोग मौजूद रहे।

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