Uttarakhand…बोलो धामी जी बोलो| कैबिनेट मंत्री जोशी पर मुकदमा होगा कि नहीं| विकास श्रीवास्तव की Report

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सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस-उत्तराखंड-विकास श्रीवास्तव


जीरो टाॅलरेंस का दावा करने वाली उत्तराखंड की भाजपा की सरकार क्या करूं क्या ना करूं की स्थिति से जूझ रही है। हालात यह है कि इधर खायी उधर कुआं जैसे हालात है। सवाल यह है कि क्या धाकड धामी अपनी ही सरकार के कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी के खिलाफ मुकदमा चलायें या नहीं। यह धामी के सामने एक प्रकार का संकट भी कहा जा सकता है। मुकदमा दर्ज करने की संस्तुति देते हैं तो अपने ही मंत्री फंसे जायेंगे और नहीं देते तो जनता को क्या जवाब देंगे। बहरहाल, धाकड धामी क्या करेंगे यह तो आने वाला वक्त ही तय करेगा। लेकिन इतना तय है कि आने वाले दिनों में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी की दिक्कतें और बढ़ने वाली हैं।

दरअसल, मामला इस प्रकार से है। आइये जानते हैं पूरे मामले को। मीडिया रिपोर्टो के अनुसार, कृषि मंत्री गणेश जोशी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में कैबिनेट के निर्णय के बाद कोर्ट कृषि मंत्री गणेश जोशी पर मुकदमे का फैसला लेगी।

असल में, कृषि मंत्री गणेश जोशी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मुकदमा दर्ज होगा या नहीं इसके लिए कोर्ट ने 19 अक्तूबर की तिथि नियत की है। कोर्ट को मामले में मंत्री परिषद के फैसले का इंतजार है। यहां यह भी दीगर है कि अधिवक्ता विकेश नेगी ने कृषि मंत्री गणेश जोशी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाया था।

अधिवक्ता नेगी ने इस संबंध में कोर्ट को (सीआरपीसी 156(3) के तहत) प्रार्थनापत्र देकर विजिलेंस में मुकदमा दर्ज कराने की मांग की थी। इस पर स्पेशल विजिलेंस जज मनीष मिश्रा की कोर्ट ने विजिलेंस से आख्या मांगी थी। इस मामले में बीते मंगलवार को सुनवाई हुई। विजिलेंस ने अपनी आख्या के साथ एक पत्र भी कोर्ट में प्रस्तुत किया।

मीडिया रिपोटों में बताया गया है कि आठ जुलाई 2024 का यह पत्र कार्मिक एवं सतर्कता विभाग की ओर से विजिलेंस को भेजा गया था। इस पत्र में सचिव मंत्री परिषद (गोपन विभाग) को शिकायत का अपने स्तर से परीक्षण कर यथोचित कार्रवाई करने को कहा गया है।

कोर्ट में कहा गया कि भारतीय संविधान के अनुसार मंत्री परिषद कार्यपालिका की निर्णय लेने के लिए सर्वोच्च संस्था है। इस पत्र से साफ होता है कि यह मामला पहले ही मंत्री परिषद को भेजा जा चुका है। कोर्ट में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के नियमानुसार ऐसे मामलों में मुकदमा दर्ज करने के आदेश से पहले कैबिनेट के फैसले का तीन महीने तक इंतजार किया जाता है।

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अब देखना यह है मामले में होगा क्या। वैसे धामी सरकार केंद्र के आकाओं से परामर्श के बाद ही निर्णय लेंगे। ऐसा राजनीतिक पंडितों का कहना है। इस देखा गया है कि बीते कुछ दिनों से कैबिनेट मंत्री गणेश मंत्री दिल्ली दरबार की परिक्रमा करते आ रहे हैं। ऐसे में होगा है क्या। यह देखना दिलचस्प होगा।

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