Health News…इतने ज्यादा तापमान पर हो जाती है मौत|इतनी ज्यादा गर्मी झेल सकता है इंसान |Dr S.L Gola | Contact 8791418545

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सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस

ये गर्मी है कि मार ही डालेगी। दो कदम भर चलने में सांस फूल जा रही है और शरीर पसीना-पसीना हो जा रहा है। अपने उत्तराखंड में भी हीट वेव घोषित करते हुये सावधान रहने की सलाह दी गयी है। इस खबर में हम यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर इंसान कितने गर्म तापमान तक में जिंदा रह सकता है। कितने तापमान में इंसान की मौत हो जाती है। आइये खबर में यह भी जानते हैं कि गर्मी के इस मौस में कैसे सेहत का ख्याल रखें। खबर में संपूर्ण जानकारी दी जा रही है बस अंत तक खबर पढ़ते रहिये। डा एसएल गोला ने इस बाबत विस्तार से जानकारी साझा की है।

ज्‍यादा तापमान हमारे शरीर और स्‍वास्‍थ्‍य दोनों के लिए नुकसानदायक होता है. कुछ लोगों के लिए तो ज्‍यादा तापमान घातक भी साबित हो जाता है. जो लोग भीषण गर्मी बर्दाश्‍त नहीं कर पाते, उनकी मौत भी हो जाती है. हालांकि, ज्‍यादातर लोगों का शरीर भीषण गर्मी और हाड़कंपाती सर्दी दोनों को झेल जाता है. गर्मियों में देश के कई हिस्‍सों में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस या इससे भी ऊपर निकल रहा है इतनी गर्मी में इंसान जिंदा कैसे रह पाता है? किस तापमान पर इंसान के लिए संकट की स्थिति पैदा हो सकती है?

Dr S.L Gola 8791418545

इंसानी शरीर का सामान्‍य तापमान 37 डिग्री सेल्सियस के बराबर होता है. विज्ञान के मुताबिक, इंसान ज्‍यादा से ज्‍यादा तापमान 39 डिग्री सेल्सियस में आसानी से रह लेता है. इंसानों के लिए 40-42डिग्री का अधिकतम तापमान बर्दाश्‍त करना मुश्किल होता है. इससे ज्‍यादा तापमान जिंदगी का जोखिम पैदा कर देता है. विज्ञान के मुताबिक, इंसान गर्म रक्‍त वाला स्‍तनधारी जीव है. इंसान एक खास तंत्र ‘होमियोस्‍टैसिस’ से संरक्षित रहता है. इस प्रक्रिया के जरिये इंसानी दिमाग हाइपोथैलेमस से शरीर के तापमान को जिंदा रहने की सीमा में बनाए रखने के लिए ऑटो-कंट्रोल्‍ड होता है.

हाइपोथैलेमस को इंसानों की रक्‍त वाहिकाओं में फैलाव, शरीर से पसीना निकलने, मुंह से सांस लेने, ताजी हवा के लिए खुली जगहों पर जाने से ऊर्जा मिलती है. इस ऊर्जा से हाइपोथैलेमस इंसानी शरीर के तापमान को नियंत्रित करता रहता है. इसीलिए इंसान तापमान के ज्‍यादा होने पर भी उसे बर्दाश्‍त कर जिंदा रह लेता है. हालांकि, जिन जगहों पर मौसम एकसमान नहीं रहता, उन जगहों पर 45 डिग्री सेल्सियस से ज्‍यादा इंसानों के लिए तापमान खतरनाक माना जाता है. हमारी धरती पर अलग-अलग तरह के वातावरण हैं और अलग-अलग क्षमताओं वाले शरीर भी. फिर भी ज्‍यादा तापमान में एहतियात बरतना बेहतर रहता है.

इंसानी शरीर पर बढ़ते तापमान के असर के बारे में बात करते हुए डॉक्टर और शोधकर्ता अक्सर ‘हीट स्ट्रेस’ शब्द का इस्तेमाल करते हैं. जब हमारा शरीर बेहद गर्मी में होता है तो वो अपने कोर तापमान को बनाए रखने की कोशिश करता है. वातावरण और शारीरिक स्थितियों पर निर्भर करता है कि शरीर अपने कोर तापमान को बनाए रखने की कोशिश किस हद तक कर पाता है. इसमें हमें थकान महसूस होती है. स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञों का कहना है कि अगर पारा 45 डिग्री हो तो बेहोशी, चक्कर या घबराहट जैसी शिकायतों के चलते ब्लड प्रेशर कम होना आम शिकायतें हैं. वहीं, अगर आप 48 से 50 डिग्री या उससे ज्‍यादा तापमान में बहुत देर रह जाते हैं तो मांसपेशियां पूरी तरह जवाब दे सकती हैं और मौत भी हो सकती है.

हमारे शरीर में मौजूद पानी बाहर के बढ़ते तापमान में शरीर का कोर तापमान स्थिर बनाए रखने के लिए गर्मी से लड़ता है. इस प्रक्रिया में हमें पसीना आता है. इससे शरीर ठंडज्ञ रहता है. लेकिन, अगर शरीर ज्‍यादा देर तक इस प्रक्रिया से गुजरता है तो पानी की कमी होने लगती है. पानी की कमी होने पर किसी को चक्कर आने लगते हैं तो किसी को सिरदर्द होता है. कुछ लोग बेहोश भी हो सकते हैं. असल में पानी की कमी से सांस की प्रक्रिया पर असर पड़ता है. ऐसे में ब्‍लड फ्लो बनाए रखने के लिए दिल और फेफड़ों पर ज्‍यादा दबाव पड़ता है. इससे रक्तचाप पर असर पड़ता है.

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ज्यादा गर्मी में खायें

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वैगन , लहसुन, अदरक, प्याज, पालक, साग जैसी पत्तेदार सब्जियां शरीर के लिए काफी फायदेमंद होती हैं। ये एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होने की वजह से हमें कई बीमारियों से भी बचाती हैं। लेकिन इन सब्जियों में प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती हैं। ये प्रोटीन ब्रेकडाउन होने पर शरीर के तापमान को बढ़ा देता है। अगर आपको भी गर्मियों में ज्यादा गर्मी लगती है तो ऐसी सब्जियों से दूर ही रहें।

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