Garhwal News…धू-धूकर जल रहे ” जंगल ” और अब ” पानी के भी पड़े लाले ” | पहाड़ की व्यथा सुनेगा कौन| जयमल चंद्रा की Report
सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस-जयमल चंद्रा, द्वारीखाल
मई का महीना चिलचिलाती धूप, उमस भरी गर्मी उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों मे जहां बनाग्नि जीवन को कठिन बनाती है,वही अगर पेयजल का संकट आ पड़े दो-दो तीन -तीन किलोमीटर दूर से पानी सिर मे लेकर आना पड़े तो उनकी इस व्यथा को शब्दों मे पिरोना बड़ा मुश्किल है।
सरकार की हर घर जल योजना के अंतर्गत नल तो लग गए मगर अफसोस कि जल नही आ रहा है। पेयजल लाइन की देखरेख की कोई उचित ब्यवस्था नही है। हम बात कर रहें हैं ग्राम पंचायत बमोली की, जहां का उप ग्राम स्कूल तोक मे प्रार्थमिक व पूर्व माध्यमिक दो विद्यालयों सहित 26 परिवारों पर बिगत 15 दिनों से पेयजल का संकट आया हुआ है। पाइप लाइन क्षतिग्रस्त होने के कारण विद्यालयों मे मिड डे मिल बाधित हो रहा है, भारी भरकम बैग के साथ दो दो लीटर की पानी की बोतल भी नौनीहालों को ढोनी पड़ रही है। तो अध्यापक भी अपनी अपनी सुविधानुसार पानी की व्यवस्था कर रहें हैँ। वही ग्रामीणों की बात करें तो तीन तीन किलोमीटर दूर से वे सिर पर पानी ढोने को मजबूर हैँ।
इस समस्या से निपटने के लिए आज दोनों विद्यालयों के आह्वान पर एक आपातकालीन बैठक का आयोजन किया गया। जिसमे पेयजल की सुचारु ब्यवस्था के लिए रणनीति बनायी गयी। अगर सब कुछ ठीक रहा तो समस्या का समाधान भी हो सकता है।
लेकिन प्रशासन,जनप्रतिनिधियों व सरकार को क्या इस गंभीर बिषय पर ध्यान देने की आवश्यकता नही है। चुनावी समर मे तो बड़े बड़े वादे किये जाते है,पर इन पहाड़ी जिलों की समस्याएं और ज्यादा बिकराल हो रही हैँ। यह समस्या मात्र एक बमोली गाँव की ही नही है, बल्कि समस्त पहाड़ी जिलों के गावों की है।