“दैवज्ञ ” |चंडीगढ़ में ” वेदों व पुराणों ” के बारे में कह डाली बड़ी बात| फिर लौटे द्रौणनगरी |Click कर जानिये क्या है पूरा मामला
सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस
अंतर्राष्ट्रीय सम्मान समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए डॉक्टर चंडी प्रसाद “दैवज्ञ” ने कहा कि सभी वेदों एवं पुराणों के अनुसार देव भूमि उत्तराखंड ही ज्योतिष की असली जननी है, इसलिए आदिगुरु शंकराचार्य ने पूरे देश में चार मठों की स्थापना के साथ यहां पर ज्योतिष पीठ की स्थापना की है,
उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल” दैवज्ञ” चंडीगढ़ में आयोजित एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होकर वापस देहरादून लौट गए हैं। वहां पहुंचने पर चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन एवं यहां पहुंचने पर देहरादून रेलवे स्टेशन पर उनके अनुयायियों ने उनका भव्य स्वागत किया।
कार्यक्रम प्रभारी खेम सिंह चौहान ने बताया कि शनिवार को देर रात चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पहुंचने पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं विभिन्न सामाजिक और शैक्षिक संगठनों से जुड़े हुए लोगों ने उत्तराखंड ज्योतिष रत्न डॉ “दैवज्ञ “का भव्य स्वागत किया।
अंतर्राष्ट्रीय सम्मान समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए डॉक्टर चंडी प्रसाद “दैवज्ञ” ने कहा कि सभी वेदों एवं पुराणों के अनुसार देव भूमि उत्तराखंड ही ज्योतिष की असली जननी है, इसलिए आदिगुरु शंकराचार्य ने पूरे देश में चार मठों की स्थापना के साथ यहां पर ज्योतिष पीठ की स्थापना की है,
अंतर्राष्ट्रीय सम्मान समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए डॉक्टर चंडी प्रसाद “दैवज्ञ” ने कहा कि सभी वेदों एवं पुराणों के अनुसार देव भूमि उत्तराखंड ही ज्योतिष की असली जननी है, इसलिए आदिगुरु शंकराचार्य ने पूरे देश में चार मठों की स्थापना के साथ यहां पर ज्योतिष पीठ की स्थापना की है, जिसे कालांतर में जोशीमठ के नाम से पुकारा जाने लगा। उन्होंने यह भी कहा कि कैलाश पर्वत में भगवान श्री गणेश को हाथी की सूंड लगाने की बात रही हो अथवा हरिद्वार कनखल में दक्ष प्रजापति को बकरे का सिर लगाने की बात रही हो मेडिकल साइंस में आज भी इससे बड़ी” ऑर्गन इन प्लांट सर्जरी” का कोई उदाहरण नहीं हो सकता है। जो आज से वर्षों पूर्व उत्तराखंड की इसी धरती पर मन्त्रों एवं यंत्रों के द्वारा संभव हो सका है ,इसलिए उत्तराखंड तपोभूमि है।
शिक्षा एवं संस्कृत शिक्षा के सहायक निदेशक डॉ घिल्डियाल ने अंतर्राष्ट्रीय सभा में यह कहकर उत्तराखंड का झंडा बुलंद कर दिया , कि संस्कृत को द्वितीय राजभाषा का दर्जा देने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य है, और अब युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में समान नागरिक संहिता लागू करने वाला भी पहला राज्य बन गया है। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री धामी और शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत शिक्षा के पाठ्यक्रम में भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता को पूर्ण रूप से जोड़कर ऐतिहासिक कदम उठा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड सरकार विगत वर्षों से चार धाम यात्रा को पूर्ण वैदिक और आध्यात्मिक मूल्यों से जोड़ रही है, और वह स्वयं अंतरराष्ट्रीय जगत से यात्रा करने आए लोगों को धर्म एवं ज्योतिष पर सम्यक मार्गदर्शन दे रहे हैं।
रविवार देर रात राजधानी लौटने पर डॉक्टर” दैवज्ञ” के अनुयायियों ने अंतरराष्ट्रीय समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उत्तराखंड का नाम रोशन करके वापस लौटने पर फूल मालाओं से उनका भव्य स्वागत किया ।बताया गया है कि आज से कई सामाजिक, शैक्षिक ,धार्मिक और आध्यात्मिक संस्थाओं के मुखिया उनसे शीघ्र भेंट करेंगे, अंतरराष्ट्रीय वैदिक ब्राह्मण सभा ने शीघ्र भव्य कार्यक्रम का आयोजन कर उन्हें” भगवान परशुराम सम्मान” से सम्मानित करने का निर्णय लिया है।