Pauri Lok Sabha Seat… ” वन मैन आर्मी ” की तर्ज पर BJP का पसीना निकाल रहा ” गोदियाल “| साभार-वरिष्ठ पत्रकार अजय रावत
सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस, साभार-वरिष्ठ पत्रकार अजय रावत
चुनावी चर्चा, जन सभाओं,नुक्कड़ सभाओं सोशल मीडया प्लेटफॉर्म के पैमाने को यदि चुनावी प्रदर्शन का मानक माना जाए तो 02-गढ़वाल संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में फ़िलवक्त जो तस्वीर निकल कर आ रही है वह इस बात की तस्दीक करती है कि इस बार गढ़वाल में एक जबरदस्त मुकाबला देखने को मिल सकता है।
महज़ 20 रोज़ पहले जब भाजपा ने अनिल बलूनी सरीखे बड़े व हाई प्रोफइल नेता को गढ़वाल के मैदान-ए-जंग में भेजा तो एक बारगी लगा कि विरोधी अब सिर्फ औपचारिकता भर को ही इस जंग में हिस्सा लेंगे। किन्तु गोदियाल ने वन मैन आर्मी की तरह अपनी जंग शुरू की और धीरे धीरे उनकी जीवटता ने सुसुप्त पड़े समर्थकों व कार्यकर्ताओं में जोश भर डाला। चुनाव प्रचार के अंतिम चरण तक गोदियाल अपनी ऊर्जा को बरकरार रखे हुए नजर आते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि भले ही गोदियाल कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी हैं किंतु जनसभाओं, रोड शो सहित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म आदि में उन्हें जो समर्थन हासिल हो रहा है वह कांग्रेस नहीं बल्कि गोदियाल की व्यक्तिगत छवि के कारण हासिल हो रहा है।
■सहज संवाद बनी गोदियाल की सबसे बड़ी ताकत■
सभाओं में गोदियाल एक निराले अंदाज में मतदाताओं से रूबरू हो रहे हैं। ठेठ व मौलिक गढ़वाली में गोदियाल स्थानीय भाषा के आणे-पखाड़ो यानी लोकोक्तियों व मुहावरों का सटीक इस्तेमाल कर भाजपा की नीतियों पर जोरदार कटाक्ष करते नजर आ रहे हैं। उपस्थित जन समूह गोदियाल के संवाद के इस तरीके से कहीं न कहीं प्रभावित अवश्य हो रहा है। उनकी सहज संवाद शैली सोशल मीडिया के जरिये इतनी वायरल हो गयी जहां भी वह जनसभा करने जा रहे हैं वहां न केवल समर्थक, कांग्रेस जन ही नहीं बल्कि अन्य दलों के प्रति सॉफ्ट कार्नर रखने वाले लोग भी उन्हें सुनने को सभाओं का हिस्सा बन रहे हैं।
■उदासीन वोटर ही तय करेगा नतीजा■
निःसंदेह जनसभाओं का साइज किसी प्रत्याशी की जीत हार को कभी भी तय नहीं करता। गढ़वाल क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी अनिल बलूनी के साथ तकरीबन हर क्षेत्र में प्रभावशाली नेता व कार्यकर्ताओं की बड़ी फौज है। वह जहां भी गए उनकी सभाओं व रोड शो में भी बड़ी भीड़ रही है। ऐसे में यह कहना जल्दबाजी होगा कि कौन गढ़वाल से संसद भवन की टिकट हासिल करने में कामयाब होगा। अब प्रचार अभियान समाप्त होने को महज 48 घण्टे शेष रह गए हैं, 18 अप्रैल से 19 अप्रैल तक के 36 घण्टे कार्यकर्ताओं व स्थानीय नेताओं की कसौटी होंगे। जिस दल के भी कार्यकर्ता, समर्थक व नेता इस कसौटी में खरे उतरेंगे वही इस जंग को फतह कर सकेगा। बहरहाल इस बेनूर, उदासीन व खामोश चुनाव में खामोश वोटर का आशीर्वाद ही निर्णायक होगा।