Haridwar lok Sabha Election…तो हरीश के वीटो से त्रिवेंद्र का पक्ष हुआ मजबूत ? |विकास श्रीवास्तव की Report

Share this news

सिटी लााइाव टुडे, मीडिया हाउस विकास श्रीवास्तव

सूत्रों की माने तो उमेश कुमार की कांग्रेस में एंट्री तकरीबन फाइनल हो चुकी थी, लेकिन हरीश रावत के वीटो के कारण उमेश कुमार कांग्रेस की दहलीज से बैरंग वापस लौटने को मजबूर हो गए। यदि उमेश कुमार बतौर कांग्रेस प्रत्याशी मैदान में होते तो निश्चित रूप से पार्टी का वोट बैंक और उस पर मैदानवाद का तड़का त्रिवेंद्र की दाल आसानी से नहीं गलने देता। हरीश रावत ने त्रिवेंद्र को तब और राहत दे दी जब उन्होंने स्वयं रणछोड़ हो अपने पुत्र वीरेंद्र को मैदान-ए-जंग में उतार दिया।

■आंकड़ों की कसौटी पर भाजपा की उम्मीदें उतर रही खरी■

यदि 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के आंकड़ों पर नजर फेरें तो उस चुनाव में भाजपा के निशंक ने कांग्रेस के अम्बरीष को 2 लाख 58 हज़ार मतों से शिकस्त दी थी। 2019 में निशंक ने 52.5 फीसद मत बटोरते हुए 6 लाख 65 हज़ार का आंकड़ा छुआ था। जबकि निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के अम्बरीष कुमार 4 लाख 6 हज़ार वोट लेकर दूसरे स्थान पर रहे थे। बसपा के अंतरिक्ष सैनी ने भी दमखम दिखाते हुए करीब पौने दो लाख मतों पर कब्ज़ा किया था। महत्वपूर्ण यह है कि 2019 के चुनाव में 52 फीसद वोट भगवा थैले में गए थे, जबकि बाकी 48 प्रतिशत मुख्यरुप से कांग्रेस व बसपा में बंटे थे। यदि 2019 के आंकड़ों की कसौटी पर 2024 के अनुमानित नतीजों को कसा जाए तो स्पष्ट है 2019 में गैर भाजपा दलों को मिलने वाले कुल मत यानी 48 प्रतिशत सिर्फ कांग्रेस और बसपा में बंटा था, जबकि इस मर्तबा उमेश कुमार की दमदार उपस्थिति के चले गैर भाजपाई वोट का तीन हिस्सों में बंटना तय है, जो भाजपा के लिए राहत भरा समीकरण हो सकता है। वहीं बसपा द्वारा मुस्लिम प्रत्याशी उतारे जाने के बाद मुस्लिम वोट का भी तीन दिशाओं में विभाजन तय है। मुस्लिम वोट बैंक ट्रेडिशनल रूप से कांग्रेस के करीब रहा है, वहीं बसपा द्वारा मुस्लिम प्रत्याशी उतारे जाने व उमेश कुमार की निजी पैंठ के चलते इस वोट बैंक का ट्राईफरकेशन होना तय है, जो भाजपा के लिए शुकून भरा होगा।

●विधान सभा के आंकड़े दे रहे त्रिवेंद्र को तकलीफ●

हरिद्वार लोकसभा सीट के तहत आने वाली 14 विधानसभाओं में से महज 6 पर ही भाजपा काबिज है। 5 सीटें कांग्रेस के पास हैं, जबकि एक पर बसपा व एक निर्दलीय के खाते में है। वहीं एक सीट रिक्त है। यदि उमेश हरिद्वार में कांग्रेस के साथ भाजपा के वोट बैंक पर सेंधमारी में सफल होते हैं तो वह निश्चित रूप से त्रिवेंद्र को तकलीफ देने की स्थिति में पंहुच सकते हैं। वहीं, यदि वीरेंद्र मुस्लिम वोट बैंक के साथ ऋषिकेश, डोईवाला व धर्मपुर में त्रिवेंद्र के वोट बैंक पर ठीकठाक सेंधमारी में कामयाब होते हैं तो हरीश रावत का पुत्रमोह सुफल भी हो सकता है। किंतु यह दो संभावनाएं असंभव न सही लेकिन मुश्किल अवश्य हैं।

◆भाजपा में असंतोष लेकिन बिखरा हुआ◆

ad12

ऐसा नहीं कि त्रिवेंद्र को लेकर हरिद्वार जनपद के बड़े भाजपाई क्षत्रपों में असंतोष नहीं है। अनेक बड़े नेता त्रिवेंद्र को लेकर अधिक उत्साहित नहीं हैं। किंतु इन क्षत्रपों की आपसी खींचतान भी जगज़ाहिर है। त्रिवेंद्र के खिलाफ हरिद्वार भाजपा का असंतोष स्वयं ही संगठित नहीं है। ऐसे में किसी ऐसे संघठित भितरघात की संभावनाएं नहीं हैं जो भाजपा को बड़ा नुकसान पंहुचा सके। हालांकि जिस तरह से अनेक क्षत्रपों के उदासीन होने की सूचनाएं है लेकिन इन असंतुष्ट लीडरों के दरमियान ही सामंजस्य नहीं है। ऐसे में अन्ततोगत्व भाजपा का संगठन व कार्यकर्ताओं के समर्पण व निष्ठा के फलस्वरूप भाजपा के अधिक डैमेज होने की आशंका बेहद कम है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *