14 January -2024….Covid के बाद फिर लगेगा ” गिन्दी कौथिग “| होगी जोर-आजमाईश| अनिल शर्मा की Report
सिटी लाइव टुडे, लालढांग, अनिल शर्मा
गढ़वाल क्षेत्र के ऐतिहासिक गेंद मेले की तरह का आयोजन अब हरिद्वार जनपद में भी होने लगा है। पहाड़ से यहां बसे लोगों की अपनी पारंपरिक धरोहर को विस्तार देने की सोच ने यहां भी गेंद मेले के आयोजन को जन्म दिया है। हरिद्वार के लालढांग क्षेत्र में 2015 से हर साल मकर संक्रांति पर गेंद मेला आयोजित होता आ रहा है। इससे लालढांग क्षेत्र को नई पहचान भी मिली है। कोविड काल के बाद अब 2024 में यहां एक बार फिर गेंद मेला आयोजित होने जा रहा है। पेश है यह खास रिपोर्ट
गेंद मेला समिति के अध्यक्ष चंद्रमोहन सिंह रावत बताते हैं कि गेंद मेले की जन्म स्थली जनपद पौड़ी के दुगड्डा ब्लाक की थलनदी है। यहां हर साल मकर संक्रांति के दिन ऐतिहासिक गेंद मेला का आयोजन होता है। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र से बहुंत लोग आकर यहां लालढांग बसे हुये हैं। बडे़-बुजुर्गों से सलाह-मशविरा करने के बाद तय किया कि लालढांग मेें भी अपनी ऐतिहासिक परंपरा को संजोया जाये और फिर 2015 में पहली बार लालढांग में गेंद मेला आयोजित हुआ। इसके बाद हर साल मकर संक्रांति को लालढांग में गेंद मेला आयोजित होता है। हालांकि, पिछले साल कोविड-संक्रमण के चलते मेले को लघु व सांकेतिक रूप से ही किया गया था। सोसल डिस्टेंसिंग समेत अन्य नियमों का पालन करते हुये पिछले साल गेंद पूजन कर सुख-समृद्धि की कामना की गयी थी।
मेला समिति के अध्यक्ष चंद्रमोहन सिंह रावत बताते हैं कि रवासन नदी पर काली मंदिर के पास यहां गेंद मेला होता है। रवासन नदी के इस तरफ और उस तरफ के लोगों के बीच गेंद को हासिल करने की प्रतिस्पर्द्धा होेती है। इससे पहले गंेद का पूजन किया जाता है और निशांण यानि झंडा शिव मंदिर से जयकारों व जयघोषों के साथ आयोेजन स्थल तक पहुंचता है। ऐसा ही दूसरे पक्ष की ओर भी किया जाता है।.
सांस्कृतिक आयोजन भी होते हैं
लालढांग में आयोजित होने वाले गेंद मेले में पहाड़ की समृद्धशाली संस्कृति के साक्षात दर्शन भी होते हैं। मकर संक्रांति से एक-दो दिन पहले सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते हैं। संस्कृति विभाग की ओर से सांस्कृतिक टीम यहां भेजी जाती है। इसके अलावा आस-पास के स्कूली बच्चों की खेलकूद व गीत-संगीत प्रतियोगिता भी आयोजित होती है। यह गेंद मेला लालढांग क्षेत्र को नई पहचान दिया रहा है और पहाड़ की ऐतिहासिक धरोहर का विस्तार भी कर रहा है। देवेंद्र रतूडी, हरि मोहन, प्रकाश चंद, विमल डबराल, सुरेंद्र रावत, लोकेश नेगी, सुरेंद्र सिंह रावत, अनिल शर्मा, संदीप अमोली, महिपाल सिंह रावत, धीरज रावत, मुकेश नेगी, अजय गौड, संदीप बहुखंडी, जगत सिंह नेगी, प्रदीप नेगी, जयचंद्र चतुर्वेदी, जितेंद्र कुमार नेगी, आकाश शर्मा, संजय सिंह नेगी, दीपक रावत, राजेंद्र राणा, आलोक द्विवेदी, सूदन डबराल, संजय बिष्ट दीपक जखमोला, आदि आदि आयोजन से जुडे हुये हैं।