खबर यमकेश्वर से…. बंजर भूमि में ” उम्मीदों ” की हरियाली लहलहा रही यह पिता-पुत्र की जोड़ी| जयमल चंद्रा की Report

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सिटी लाइव टुडे, जयमल चंद्रा, द्वारीखाल


पलायन की मार कहो या फिर कुछ हो,,,,,,,,पहाड़ी क्षेत्रों से खेतीबाड़ी का ग्राफ कम होने लगा है। लेकिन अभी भी कई ऐसे हैं जो सराहनीय कार्य कर प्रेरणा के स्रोत बने हुये हैं। युवाओं को आईना दिखा रहे हैं और सरकार को पाठ पढ़ा रहे हैं। अपने यमकेश्वर क्षेत्र में ही ऐसे ही यह पिता-पुत्र की अमर जोड़ी। खास बात यह है कि ये पिता-पुत्र की जोड़ी गांव के ग्रामीणों से जमीन खरीदकर बागवानी कर रहे हैं। लीजिये पेश है यमकेश्वर से हमारे संवाददाता जयमल चंद्रा की यह खास रिपोर्ट। शेयर जरूर करें तो ताकि लोग भी इससे प्रेरणा ले सकें।

यमकेश्वर के ढौंसन गॉव के पिता पुत्र हैं, जो कि गॉव में अन्य लोगो से जमीन खरीदकर उस पर बागवानी कर रहे हैं, पिता लोक निर्माण विभाग में कार्यरत हैं, जबकि पुत्र हरिद्वार प्राईवेट कंपनी में काम करता है और दोनों हर शनिवार को घर जाकर रविवार के दिन बागवानी करते हैं।

यमकेश्वर के ढौसन गॉव निवासी धाम सिंह पयाल जो कि लोक निर्माण विभाग में कार्यरत हैं, और उनके बेटे अरविंद पयाल हरिद्वार में एक प्राईवेट कंपनी में काम करते हैं, दोनों काम के साथ साथ घर में खेती और बागवानी का कार्य भी करते हैं, उन्होंने गॉव में लगभग तीन नाली से अधिक जमीन गॉव के लोगों से खरीद ली और एक तरफा होने से उन्होंने चकबंदी कर उसमें बागवानी करनी शुरू कर दी है। पिता और पुत्र ने मिलकर आम, ऑवला, अमरूद के पेड़ लगाये हैं। उद्यान विभाग से और स्वंय के प्रयास से उन्होंने फलों के पेड़ खरीदे और लगाये हैं, अमरूद के पेड़ तो फल देने लग गये हैं, आम के लगभग दो सौ से अधिक पेड़ लगाये हैं, और सभी पेड़ अभी सुरक्षित हैं।

युवा अरविंद पयाल ने बताया कि खेतों में हमने हल्दी अरबी और अदरक तो लगाया ही है, साथ में हमने घर के पीछे तीन नाली से अधिक बंजर खेतों में बागवानी की है, आम के लगभग दो सौ पेड़ लगाये हैं, और ऑवले एवं अमरूद के भी पेड़ लगाये हैं, उन्होेने बताया कि अमरूद तो फल भी देने लगे हैं, यह देखकर काफी खुशी महसूस हुई। उन्होंने कहा कि पिताजी ने बाहर जमीन लेने से बजाय गॉव में ही जमीन लेकर इन्वेस्ट किया है, और हमने उनमें बागवानी कर ली है, हम दोनों पुत्र पिता मिलकर कार्य करते हैं। पिताजी हमेशा प्रेरणा देते रहते हैं, मुझे भी काफी शौक है और गॉव एवं अपनी मातृभूमि के प्रति लगाव होने से मेरे लिए बागवानी का चुनाव करना सबसे पंसदीदा और उपयुक्त है।

वहीं धाम सिंह पयाल ने कहा कि गॉव में पानी बिजली सड़क सब सुविधायें उपलब्ध हैं, गॉव में पारंपरिक खेती नहीं हो रही है तो बागवानी की जा सकती है, हालांकि जंगली जानवर बंदर आदि की समस्या तो है, किंतु यदि तारबाड़ कर दिया जाय और इसे व्यवसाय के तौर पर किया जाय तो जानवरों से बचाने के भी विकल्प मिल जायेगें। हमारा प्रयास रहेगा कि हम अगले बरसात और फलों के पेड़ भी लगायें। कीवी और ड्रेगन लगाने के लिए उद्यान विभाग से सम्पर्क कर जानकारी जुटायी जायेगी।

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युवा अरविंद पयाल ने बताया कि गॉव में अमरूद की वैरायटी और फलों को देखकर लोगों में काफी उत्साह है, उम्मीद है कि बागवानी में हमें सफलता मिलेगी और हम अधिक से अधिक बागवानी कर इसको आगे बढा सकें, उन्होंने कहा कि इससे युवाओं को अवश्य प्रेरणा मिलेगी और वह भी इस ओर प्रयास करेगें।

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