सुमन डोभाल काला @ दून में महक रहा पौड़ी की माटी में खिला फूल| Click कर पढ़िये पूरी खबर

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सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस

कला की बेजोड़ प्रतिभा कहिये। लोक माटी से अगाध प्रेम और लोक संस्कृति के रंगों में घुलने की चाहत। करते-करते-कहते-कहते ये दिल है कि मानता नहीं। मानेगा भी कैसे जब कला से मुहोब्बत जो कर ली है। अब तो जीना इसी का नाम है। नारी सशक्तिकरण की आग ने भी उनके हुनर को पंख लगा दिये हैं।


कुछ-कुछ ऐसा ही परिचय है सुमन डोभाल काला का। मूलरूप से पौड़ी जनपद के डोभ-श्रीकोट की रहने वाली सुमन डोभाल का ससुराल पौड़ी के ही ऐतिहासिक गांव सुमाडी है। प्राथमिक शिक्षा गांव से लेने के बाद आगे की शिक्षा पौड़ी शहर से प्राप्त की।
मन में बचपन से ही कला के बीजे थे जो अंकुरित होकर बढ़ते और महकते गये।


समाज को लेकर भी चिंता भी खाये जा रही थी। खासतौर पर नारी को लेकर बड़ी चिंता थी और अभी भी।
साहित्य संगीत व कला की दुनिया के रंगांे को अपने अंदर घोलकर सुमन डोभाल काला लिखती भी हैं और गाती भी। नये हुनर को तलाशने व तलाशने के साथ ही समाज कल्याण की खातिर एनजीओ भी बनाया गया।


इन सब कार्यों ने देहरादून बड़ा आकर लिया और इन कार्यों को विस्तार मिला। सुमन डोभाल काला इस बात से बेहद दुखी हैं कि लोक-संस्कृति हाशिये पर पहुंच रही है। खासतौर पर नयी पीढ़ी लोक-संस्कृति से परहेज करके दूरी बना र ही है।
इस कमी को दूर करने के लिये सुमन जागरूकता की बात भी करती है और सरकारी स्तर पर प्रयास तेज करने की वकालत भी करती है।

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कुछ-कुछ ऐसा ही ये कला का फूल सुमन डोभाल काला। साहित्य संगीत व कला के कई रंग एकसार करता इनका जीवन प्रेरणादायी है।

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