Pauri News..इस गांव में सालों बाद दिखे ” इंसान ” लेकिन फिर गायब हो गये| जयमल चंद्रा की Report
सिटी लाइव टुडे, जयमल चंद्रा, द्वारीखाल
पहाड़ के गांवों से जुड़ी परंपराओं और विशेषताओं के साथ अब नयी बातें जुड़ने लगी हैं। Pauri News. बात निकल रही हैं तो दूर तक जायेगी भी। बातें भी होंगी और मंथन भी लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकल रहा है। पलायन की मार से उपजे हालातों ने गांव के साथ नया अध्याय भी जोड़ दिया है। Pauri News. अपने पौड़ी जनपद का एक गांव ऐसा भी हैं जहां इस बार सालों के बाद इंसान नजर आयें लेकिन कुछ ही दिनों में ये गायब भी हो गये है। गायब की जगह कहें कि फिर अपने देश-परदेश चलें तो ज्यादा ठीक रहेगा। कुछ दिनों की रौनक व रंगत के बाद फिर सन्नाटा पसरा हुआ है।
यहां जिक्र कर रहे हैं पौड़ी जिले के द्वारीखाल ब्लाक के अंतर्गत सिलसेरी गांव की। Pauri News. बमोली ग्राम पंचायत के अंतर्गत यह गांव आता है। इस गांव पर भी पलायन की मार ऐसी पड़ी कि पड़ती ही रह गयी। नतीजा यह है कि पलायन ने गांव मंे सन्नाटा पसरा दिया है।
ग्रामीण बताते हैं कि धीरे-धीरे पलायन हुआ और स्थिति यहां तक आ गयी कि इस गांव में एक भी परिवार व इंसान नहीं रहा।
लोग नहीं रहे तो मकान की हिफाजत करेगा कौन। तालें लगे और जाले भी लगे। देखते ही देखते मकान भी क्षतिग्रस्त होने लगे हैं। Pauri News.
कहने का मतलब यह है कि यह सिलसेरी गांव सन्नाटा व वीरांनी की चादर ओढ़े हुये हैं। लेकिन दिल रखने के लिये ही सही अच्छी बात यह है कि इस गांव में धार्मिक अनुष्ठान की ताकत प्रवासियों को खींच ले आती है। इस बार सालों के बाद गांव में धार्मिक अनुष्ठान हुआ तो ठीक-ठाक संख्या मंे प्रवासी अपने villages गौं-गुठ्यार पहुंचे। Pauri News.
दिक्कत यह भी है कि मकानों की स्थिति ठीक नहीं है। इसलिये प्रवासी सारा सामान व तामझाम लेकर ही गांव आये। इन पुराने मकानों में ही कुछ दिन गुजारे। धार्मिक अनुष्ठान हुआ, जय-जयकार हुयी और गांव में रौनक देखते ही बनी। garhwal news
बेशक, प्रवासियों के चेहरों पर गांव की खुद के कई भाव एक साथ तैर रहे थे लेकिन गांव की माटी की खुद रह-रहकर सता रही थी।
लेकिन यह चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात ही साबित हुयी। अनुष्ठान के बाद प्रवासी फिर अपने-अपने ठिकानों की ओर चल पड़े और गांव फिर अकेला हो गया है। कहने का मतलब यह है कि इस सिलसेरी गांव में सालों के बाद इंसान दिखे लेकिन कुछ दिनों के बाद ही यह गांव फिर सनाटे में तब्दील हो गया है। देखा जाये तो यह केवल सिलसेरी गांव की कहानी नहीं है ऐसे कई और गांव भी है।