marriage….ऐसे होगी चट मंगनी और पट ब्याह| बैंज-बाजा व बारात| मेनका असवाल की Report

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सिटी लाइव टुडे, मेनका असवाल


वक्त है कि रेत की तरह निकलता जा रहा है और आप मैरिज ब्यूरो के चक्कर काटकर थक गये हों। इतना करने के बाद भी सात फेरों के बंधन में बंधने की आरजू अधूरी रह गयी है। कान तरस गये शहनाई की गूंज सुनने को और इसके गवाह बनने को। अब टेंशन लेने की जरूरत नहीं है हम आपके अचूक फार्मूले बता रहे हैं जिन्हें करने से चट मंगनी और पट ब्याह होगा। यानि बैंड-बाजा और बारात। ये अचूक उपाय बताने से पहले यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर विवाह क्यों नहीं हो रहा है।
ज्योतिषशास्त्र का विश्लेषण यह बताता है कि कुण्डली में कई बार मंगल दोष या शनि की दशा खराब होना भी देर से विवाह का कारण बनता है। समस्या है तो समाधान भी है। इन अचूक उपायों को आज से ही करना शुरू करें।

बृहस्पतिवार को गाय को भोग लगायें


बृहस्पतिवार को गाय की पूजा करें और भोग लगाएं। भोग में दो आटे के पेड़े पर थोड़ी हल्दी लगाकर थोडा गुड़ और चने की गीली दाल खिलायें। ऐसा करने से शीघ्र ही विवाह हो जायेगा।


बृहस्पति की करें पूजा
बृहस्पति भगवान देव गुरू हैं। कहते हैं कि बृहस्पति देव की पूजा करने से शादी में आ रही विघ्न-बाधायंे दूर हो जाती हैं। याद रखें कि बृहस्पति देव की पूजा गुरुवार को ही करें। बृहस्पति देव की पूजा में पीले रंग का वस्त्र, हल्दी, पीला फल, पीले फूल, चने की दाल और केला चढ़ाएं। इसके अलावा आप बृहस्पतिवार को व्रत रखकर पीला खाना खाएं और पीले वस्त्र भी धारण करें।

पीतांबर हो जायें
पीले रंग का कपड़ा पहनने और पीले फल का सेवन करने से बृहस्पति देव प्रसन्न होंगे और विवाह जल्दी होगा। सो, पीले वस़्त्रों व चीजों का अधिक सेवन करें।


रामचरित मानस का पाठ करें
चट मंगनी, पट ब्याह चाहते हैं तो रामचरित मानस का पाठ जरूर करें। रामचरित मानस में विशेष रूप से बाल कांड में वर्णित शिव-पार्वती विवाह से जुड़ी प्रसंग को विधिपूर्वक पढ़ें।


हल्दी का ऐसे करें प्रयोग
पानी में हल्दी डालकर नहाएं। इस तरह का स्नान विवाह योग्य लोगों को हर गुरूवार करना चाहिए। साथ ही केसर के साथ हल्दी का भी प्रयोग करना बेहतर होता है। ऐसा करने से शीघ्र ही शहनाई की गूंज सुनाई देगी।

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मन्त्र- ग्रां ग्रीं ग्रौं सृ गुरुवे नमः
विवाह मे देरी के लिए मांगलिक के कारण हो तो घट विवाह अर्क विवाह से भी निवारण होता है
बृहस्पतिवार को लङकी केला न खाए एवं पूजा करे द्य गौसेवा उत्तम है

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