Pauri… किसे सुनाये और कौन सुने… कहानी बुटली गांव की| जगमोहन डांगी की Report

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सिटी लाइव टुडे, जगमोहन डांगी,


चुनावी मौसम में नेताजी विकास की बात करते हों लेकिन हकीकत किसी से छिपी हुयी नहीं है। जनता को केवल कोरे भाषण व आश्वासन ही मिलते रहे हैं। ऐेसे में गुस्सा तो आयेगा ही। सिटी लाइव टुडे के संवाददाता जगमोहन डांगी ने विकास के दावों की पड़ताल की तो ग्रामीण बोले इसने भी ठगा तो उसने भी ठगा। पौड़ी जनपद के बुटली गांव के ग्रामीणों के मन की बात को टटोली गयी तो ग्रामीणों ने भाजपा व कांग्रेस दोनों दलों को खूब कोसा। बस इन नेतााओं का नाम भी मत लीजिये। संवाददाता जगमोहन डांगी की यह खास रिपोर्ट।

जनपद पौड़ी के पट्टी मनियारस्यू के अंतर्गत ग्राम बुटली की बात ही अलग है यह गांव खेती के लिए जाना जाता है।
हर गांव की तरह यह गांव भी पलायन की मार से अछूता नहीं रहा। यहां से भी पलायन हो रहा है। गांव के ऊपर नजदीक 30 करोड़ की चिंवाडी डांडा पम्पिंग योजना भी ग्रामीणों की प्यास नहीं बुझा सकी गांव में प्राकृतिक जल स्रोत से पानी की प्यास बुझाई जाती है। लेकिन गांव से दो मील नीचे खड़ी चढ़ाई पर स्रोत है। जिस कारण बड़े बुजुर्ग लोग गांव से पलायन कर देते हैं और गांव की बजाय देहरादून दिल्ली शहरों में रहने को मजबूर हो गए। युवा ग्रामीण गौतम रावत लॉकडाउन में गांव आए थे तब से गांव ही है। परमानंद बकरी पालक है।

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वही गांव के भेड़ पालक विक्रम सिंह का कहना है कि मैं तो बकरी और भेड़ पालकर अपना परिवार का भरण पोषण करता हूं। कोई भी सरकार आये, करना किसी के कुछ नहीं है। अब तक भी किसी ने कुछ नहीं किया। आशीष गुसाई बताते हैं कि युवाओं के लिए गांव में कोई रोजगार नहीं है। मनरेगा के अलावा वह मात्र 100 दिन का। कहने का सार यह है कि बुटली के ग्रामीण स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।

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