बैरागी कैंप दवा प्रकरण| तो बड़ी मछलियों को बचाया जा रहा ?|विकास श्रीवास्तव की Report
सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस हरिद्वार–विकास श्रीवास्तव
बैरागी कैंप प्रकरण मामले में हुयी कार्रवाई सवालों के घेरे में है। चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी संघ चिकित्सा स्वास्थ्य ने कार्रवाई पर सवाल उठाये हैं। वार्डबॉय अजय कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने पर चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी संघ चिकित्सा स्वास्थ्य को आपत्ति है। संघ का सीधा कहना है कि असली आरोपियों को बचाया जा रहा है। नोटिस भेजकर केवल खानापूर्ति की जा रही है। जबकि वार्डबाॅय को केवल फंसाया जा रहा है। इस बाबत संघ ने सीएमओ को पत्र भी भेजा है। पत्र में निष्पक्ष जांच व कार्रवाई की मांग की गयी है। ऐसा नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी गयी है।
चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी संघ चिकित्सा स्वास्थ्य के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश लखेड़ा ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी हरिद्वार को पत्र देकर मांग की है कि वार्डबॉय अजय कुमार को अपराधी बना दिया गया है जबकि मुख्य कर्ता धर्ताओं को लापरवाही का नोटिस देकर इतिश्री कर ली गई है और नोटिस का जबाब भी सिर्फ वार्ड बाय ने भेजा है जिनके द्वारा सारे कांड का चक्रव्यूह रचा गया उन्होंने अभी तक जबाब देना भी उचित नहीं समझा अगर निष्पक्ष कार्यवाही नहीं हुई तो संघ को आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा
संगठन को यह भी संकल्प लेना पड़ेगा कि अब मौखिक रूप से आदेश देने पर कर्मचारी कोई कार्य नही करेगा क्योंकि मौखिक रूप के आदेश के बाद ही वार्डबॉय की यह स्थिति हुई है,इस संबंध में माननीय मुख्यमंत्री और माननीय स्वास्थ्य मंत्री से मिलकर स्वास्थ्य विभाग के भेदभाव पूर्ण रवैये के बारे में बात की जाएगी। चतुर्थ श्रेणी कर्मियों का शोषण हर तरफ से किया जा रहा है जो कि न्यायोचित नही है।
वहीं दूसरी और चतुर्थ श्रेणी कर्मियों का शोषण किया जा रहा है,सेवा निवर्त कर्मचारियों कीएक वर्ष के लगभग से पेंशन नही बन रही है वो कार्यालय के धक्के खा रहे हैं उनकी आर्थिक स्थिति खराब है। मृतक आश्रित कर्मचारियों की नियुक्ति को साल साल हो जा रहा है उनकी न तो नियुक्ति हो रही है न ही उनके देयक निकाले जा रहे हैं।
चिकित्सा प्रतिपूर्ति बिलों का भुगतान, कर्मचारियों के यात्रा भत्ता बिल, वर्दी इत्यादि नही दी जा रही है कोई भी बोलने वाला नही है संघ ने निर्णय लिया है अगर मुख्य चिकित्सा अधिकारी हरिद्वार द्वारा वार्ता कर इन सब समस्याओं का निस्तारण नही किया जाता है तो उनके कार्यालय के बाहर आंदोलन किया जाएगा जिसका सम्पूर्ण उत्तरदायित्व मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय प्रशासन का होगा।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी हरिद्वार को दिए गए पत्र में यह भी कहा गया है कि बिना प्रभारी फार्मेसी और चिकित्सा अधीक्षक की मर्जी के बिना अजय कुमार वार्ड बाय या चिकित्सा अधिकारी डा आर्य दो गाड़ियों में दवा ले जा सकते थे तो उन पर अभी तक कोई एफ आई आर दर्ज क्यों नहीं हुई सिर्फ खाना पूर्ति की जा रही है दलित कर्मचारी का शोषण सहन नहीं किया जायेगा जल्द ही निष्पक्ष कार्यवाही न होने पर आंदोलन के की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की होगी।