दुखद| रूला गया गौवंश की रक्षा का योद्धा| गोदांबरी नहीं रही| कमल उनियाल की reoprt
सिटी लाइव टुडे, कमल उनियाल, द्वारीखाल
आज के युग में बिना स्वार्थ की कोई किसी की सहयता नहीं करता। भौतिकवादी दुनिया में नि स्वार्थ भाव से किसी की सेवा करना मात्र कल्पना है। लेकिन इस देवभूमि में आज ऐसे वीरगंना तथा बीर शख्सियत भी पैदा हुए हैं जो गुमनाम होकर गौसेवा मानव सेवा बिना स्वार्थ तन मन से समर्पित रहे ऐसी ही गोवंश को समर्पित विकास खंड द्वारीखाल की ग्राम बाँगो सिलोगी की गो-सेविका गोदांबरी देबी गोसेवा समिति की संस्थापक गोदांबरी देबी की लम्बी बीमारी के बाद निधन हो गया।
गोदांबरी देवी ने जिनको गोवंश पर अत्याचार न देखा गया। गायों की पीडा महसूस करके उन्होंने 1995 में बिना संसाधन से अपने छोटे से निवास में सौ से ज्यादा गाय बछड़े जो बीमार की स्थिति में थे उनकी नि स्वार्थ सेवा करनी शुरु कर दी तथा गोवंश की रक्षा करने का संकल्प लिया।
आर्थिक रुप से समक्ष न होने के बाद भी अपने पति सोहन लाल सेमवाल के साथ गोसेवा के प्रति समर्पित हो गई। जब 2016 में उनके गाँव के पशु चुकान क्षेत्र तथा पास के जंगलांे मे पुरी तरह आग लग गयी थी तो रक्षित गोवंश को बचाने के लिए गोदांबरी गोदांबरी देवी निकटवर्ती गाँव हथनूड के शिवमंदिर में गायो सहित शरण लेकर दो महीने तक उनके साथ अकेला रही जो कि एक मिसाल है। गोतीर्रथ संस्था के स्वामी विशुद्धानंद महाराज के प्रेरणा यह वीरांगना महिला गोवंश की सेवा के लिए प्रतिबद्ध थी।
उनकी गोमाता की सेवा की दिव्य ईश्वरीय महिमा भी देखने को मिली जब उनकी शरीर को अग्नि को समर्पित किया गया तो अचानक एक गाय वहाँ पर आयी आटा खाया तथा उनके उपर अर्पित फूल खाये पानी पिया जो काफी देर वहाँ खडी रही जबकि खडखडी घाट पर अन्य चिताये भी जल रही थी वह गाय सिर्फ उसी महान आत्मा के पास गयी और गोमूत्र छिटककर चली गयी सभी प्रत्यक्षदर्शी देखते रह गये सभी ने कहा आज भी नेक कार्य किये जाय तो इंसान ही भगवान का रुप है ।