शरद पूर्णिमा@ नूर बरसायेगी ये पूनम की रात| प्रस्तुति-पंडित तरूण झा
सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस
चंद्रमा की अपनी सोलह कलाओं का नूर बरसाने जा रहा है। यह खास मौका होगा 9 अक्टूबर को। ज्योतिष गणना के अनुसार इस दिन शरद पूर्णिमा है। कहते हैं कि इस खास मौके पर चंद्रमा सोलह कलाओं का नूर बरसाता है। शरद पूूर्णिमा के विभिन्न धार्मिक पहलुओं पर केंद्रित यह खास रिपोर्ट। प्रस्तुति भारत के प्रसिद्ध ज्योतिष संस्थानों मे एक ब्रज किशोर ज्योतिष केंद्र के संस्थापक ज्योतिषचार्य पंडित तरुण झा की।
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिष संस्थानों मे एक ब्रज किशोर ज्योतिष केंद्र के संस्थापक ज्योतिषचार्य पंडित तरुण झा ने बताया की कोजागरा पूजा का दिन हिंदू धर्म के सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है,अश्विन महीने में पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती हैँ! देवी लक्ष्मी धन, खुशी और समृद्धि की देवी हैं और ऐसा माना जाता है कि अश्विन पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा करने से भक्तों को प्रचुर मात्रा में धन और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। पूजा अनुष्ठानों को करने का सबसे शुभ समय मध्यरात्रि या निशित काल होता है। पूजा का प्रमुख और महत्वपूर्ण पहलू रात में जगराता करना होता है यानी भक्तों को मध्यरात्रि जागरण करने की आवश्यकता होती है।
ये मंत्र से माता लक्ष्मी की आराधना करें!
- ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः!
- ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:!!
- ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ!!!
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कोजागरी पूर्णिमा या शरद पूर्णिमा की रात्रि में माता लक्ष्मी जब धरती पर विचरण करती हैं तो ‘को जाग्रति’ शब्द का उच्चारण करती हैं. इसका अर्थ होता है कौन जाग रहा है. वो देखती हैं कि रात्रि में पृथ्वी पर कौन जाग रहा है. जो लोग माता लक्ष्मी की पूरी श्रद्धा से पूजा करते हैं, उनके घर मां लक्ष्मी जरुर जाती हैं.
ऐसा माना जाता है कि, इस दिन,देवी लक्ष्मी सभी घरों में जाती हैं और अच्छे भाग्य और अत्यधिक समृद्धि के लिए अपना दिव्य आशीर्वाद प्रदान करती हैं।