यमकेश्वर| जख्म है ” हरा-हरा ” और तुम मुस्कराने की बात करते हो| जयमल चंद्रा की रिपोर्ट
सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस
pauri garhwal yamkeshwar news जख्म है भरा-भरा और तुम मुस्कराने की बात करते हो। यह एक फिल्मी गीत जरूर है लेकिन यमकेश्वर की व्यथा की कथा पर सटीक बैठता है। बीस अगस्त-2022 को आयी आपदा ने यमकेश्वर की छाती पर जो जख्म दिये थे आज वो भी भरे नहीं है। हैरानी की बात तो यह है कि खैर-ख्वाह सब ठीक हो जायेगा की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। पेयजल व सड़क व्यवस्था पटरी पर आने का नाम नहीं ले रही हैं। ऐसे में ग्रामीण करें तो क्या करें।
सूरत-ए-हाल ये हैंे कि अधिकांश क्षेत्र में पानी कि पाइप लाईन क्षति ग्रस्त हो गई हैं, जिस कारण पानी कि आपूर्ति नहीं हो रही है। ग्रामीण दूर प्राकृतिक स्रोतों से पानी भर कर लाने क़ो मजबूर हैं। गांव क़ो जोड़ने वाले सम्पर्क मार्ग अभी तक पूरी तरह से नहीं बन पाए हैं। लोक निर्माण विभाग द्वारा सड़कों की मरम्मत कर खोलने का काम जारी है।
व्यथा की कथा यही खत्म नहीं होती है। आपदा के कारण फलदाकोट पंप क्षतिग्रस्त होने से बंद पड़ी हुई है। जिस वजह से डेढ़ दर्जन गाँव प्रभावित हो गये हैं और कई स्कूलों में पानी कि आपूर्ति ठप हैं। फलदाकोट पंपिंग से कई गाँवों में पानी कि आपूर्ति नहीं होने से जन जीवन प्रभावित हो रखा है। फलदाकोट पंपिंग से जुड़े गाँव फलदाकोट, कुकरेती धार, कंडवाल गाँव, पोखरखाल नाई, विनक़ नाइ, तलाण्डी, पातली चिकित्सालय, और प्राथमिक विद्यालय, गोदी, बूँगा भदौड़ा, मुसराली, मागथा, अट्टा, गहलीखेत, गणेशपुर, वासवा, में पानी कि आपूर्ति ठप पड़ी है।
वहीं, प्राथमिक विद्यालय, पातली, डौर, वासवा, मंगल्या गाँव, गणेशपुर, फलदाकोट, जूनियर है स्कूल शक्तिखाल, और शिव दयाल गिरी इंटर कॉलेज पोखरखाल में पानी नहीं आने से अध्ययनरत नौनिहालांे क़ो पानी नहीं मिल पर रहा है और मध्याहन भोजन बनाने में समस्या आ रही है। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार इस विषय में विभाग क़ो सूचना दी गई है लेकिन अभी तक उक्त योजना क़ो सुचारु नहीं हो पायी है।