खतरे की घंटी| कहीं इस बरसात ” बोल ” ना जाये ये बीमार सरकारी भवन| कमल उनियाल की रिपोर्ट

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सिटी लाइव टुडे, कमल उनियाल, द्वारीखाल


सरकारी लापरवाही का आलम देखना है तो इस खबर को ध्यान से पढ़िये और शेयर भी कीजिये ताकि कुंभकर्णी नींद में सोये प्रशासन जाग सके और किसी अनहोनी को टाला जा सके। द्वारीखाल में कृषि भवन कभी भी बोल सकता है। हैरानी की बात तो देखिये कि क्षतिग्रस्त इस भवन में रखे कृषि संबंधी यंत्र और अन्य सामान खराब होता जा रहा है लेकिन सरकारी सिस्टम को इससे कोई सरोकार नहीं है। ऐसे में डर सता रहा है कि इस बरसात में यह बीमार भवन कहीं दम ना तोड़ दे।

आइये, आपको विस्तार से बताते हैं। दरअसल, कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार है।सरकार कृषि क्षेत्र में कल्याणकारी योजना संचालित कर रही है जिससे सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य कर रहे प्रगतिशील किसानो को प्रशिक्षण,उत्पादन की तकनीकी का प्रचार प्रसार ब्लाक के कृषि कार्यालय से होता है।

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पर विडम्बना ही है कि कृषकों को प्रदत सुविधाएं देने वाला कृषि भवन द्वारीखाल जर्जर स्थिति में पहुँच गया है। भवन का कार्यालय ,भंडार कक्ष स्टोर कक्ष की छत तथा दीवार पर दरार पड़ गयी है। सीमेंट का प्लास्टर उखड़ कर सिर पर गिर रहा है। भंडार कक्ष में बरसाती पानी रिसने से बीज तथा कृषि यंत्र खराब हो रहे है। कृषि प्रभारी संजय श्रीवास्तव, बी.टी.एम. संजय कुकरेती,परिचारक हरेंद्र विष्ट ने बताया कि इस भवन का प्राकलन बार-बार शासन-प्रशासन तथा विभाग को भेजा जा चुका है।पर विभाग की उदासीनता के कारण भवन निर्माण तो दूर छत मरम्मत के लिए भी धनराशि नहीं करायी जा रही है। जिस कारण हर समय अनहोनी की आशंका बनी रहती हैं।तथा कार्यालय में संरक्षित खाद,बीज,दवाई,कर्षि यंत्रो आदि का बचाव भी मुश्किल हो रहा है।

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