फैसला आज| क्या थमेगा रिटायरमेंट की पार्टी का विवाद| पढ़िये पूरी खबर
सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस
स्वास्थ्य महकमे से रिटायर्ड हुये एक कर्मचारी की रिटायरमेंट की पार्टी से उपजा विवाद के थमने की आस जगी है। इस मामले में सोमवार को सीएमओ हरिद्वार दोनों पक्षों के साथ बैठक करेंगे। इसके लिये सीएमओ ने दोनों पक्षों को बुलाया है। उधर, एक पक्ष आरोपी पर सख्त कार्रवाई की मांग करता आ रहा है। यह पक्ष समझौते के मूड में नहीं लग रह है।
चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी संघ चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाएँ उत्तराखंड का कहना है कि आरोपी पर कड़ी व बड़ी कार्रवाई नहीं हुयी तो आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगे। बहरहाल, सोमवार की बैठक काफी अहम है। इसके बाद ही स्थिति साफ हो पायेगी। हरिद्वार में रिटायरमेंट की पार्टी का विवाद काफी सुर्खियों में है। मामले में स्वास्थ्य महकमे में तैनात एक कर्मचारी पर गंभीर आरोप हैं। यह मामला पिछले कुछ समय से गरमाता रहा है।
आरोप है कि रिटायरमेंट की पार्टी एक कर्मचारी ने अन्य कर्मचारियों के साथ गाली-गलौच व जान से मारने की धमकी दी। यह भी आरोप है कि आरोपी ने शराब के नशे में धुत होकर तमाशा मचाया। इसके अलावा आरोपी पर यह भी आरोप लगता आ रहा है कि आरोपी ने एसटी एक्ट में फंसाने की धमकी भी दी। इस मामले को चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी संघ चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाएँ उत्तराखंड ने गंभीरता से लिया है। सख्त कार्रवाई करते हुये आरोपी को 6 साल के लिये संगठन से निष्कासित किया जा चुका है। संगठन आरोपी पर कानूनी शिकंजा कसने की मांग कर रहा है। इस बाबत कई बार सीएमओ हरिद्वार को पत्र भी लिखा गया। अब जाकर सीएमओ ने दोनों की बैठक बुलायी है।
उधर, चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी संघ चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाएँ उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश लखेडा और जिला अध्यक्ष शिवनारायण सिंह जिलामंत्री राकेश भँवर ने कहा कि दीपक धवन और मुकांशी रघुवंशी द्वारा संघ विरोधी गतिविधियों के तहत संगठन के नाम का दुरुपयोग करना, संगठन की छवि धूमिल करने, अपने पदाधिकारियों को शराब पीकर गाली गलौज करना को लेकर दीपक धवन को संगठन से 6 वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया गया है जबकि मुकांशी रघुवंशी पूर्व में ही संघ से त्याग पत्र दे चुके हैं। चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी संघ चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाएँ उत्तराखंड के तेवर सख्त दिख रहे हैं। संगठन समझौते के मूड तो नहीं लग रहा है। संगठन से स्पष्ट किया है कि आरोपी के खिलाफ कड़ी व बड़ी कार्रवाई नहीं हुयी तो फिर आंदोलन ही आखिरी रास्ता बच जाता है।