तरूण कुमार|” गौं-गुठ्यार ” में खिलता हुनर का “बुरांश ” | साभार-रमाकांत| पढ़िये पूरी खबर
सिटी लाइव टुडे, साभार-रमाकांत
कोविड के बाद अब फिर प्रवासियों का गौं-गुठ्यार की ओर रूख होने लगा है। भले ही थोड़े दिनों के लिये ही लेकिन प्रवासियों गौं-गुठ्यार की याद आने लगी हैं। खास बात यह है कि प्रवासियों को गौं-गुठ्यार की ओर खींच ले आ रहे हैं द्यबतौं का ठौं। कहने का मतलब यह कि जख द्यबतौं का ठौ छन, वखी तक मेरा गौं छन भैजी। धार्मिक अनुष्ठान कहिये या फिर कौथिग कह लीजियेगा। अब एक बार फिर गांव-गांव ईष्ट देवों का पूजन का ग्राफ बढ़ा है। सो, प्रवासियों और रैवासियों का मिलन भी हो रहा है और धर्म-अध्यात्म की जय-जयकार भी। इसी के चलते गौं-गुठ्यार में लहलहा रहे हैं हुनर के एक से बढ़कर बेशकीमती फूल। ऐसी ही खिलते हुनर के फूल का नाम है तरूण कुमार।
जनपद पौड़ी के पट्टी लंगूर तल्ला के ग्राम कंदरौडा निवासी विकास कुमार सचमुच एकदम अलग हैं। पिता श्री का नाम विनोद कुमार है। कुछ नया करने का जज्बा इनके जहन में कूट-कूटकर भरा हुआ है। यह कारण भी आप मान सकते हैं कि बीस साल की उम्र्र में ही बन बैठे हैं ब्लागर। स्नातक के प्रथम वर्ष के छात्र हैं। इन्हें घुमक्कडी भी कह सकते हैं। पहाड़ के ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व के मठ-मंदिरों की गरिमा व महिमा को ब्लाग के जरिये देश-दुनिया तक पहुंचा रहे हैं। पौराणिक धार्मिक महत्व के देव स्थलों के प्रति तरूण का झुकाव भी है और लगाव भी। तरूण के वीडियो तथ्यपकरक भी हैं ज्ञानवर्द्धक भी। कम उम्र में बड़ा उज्ज्वल भविष्य में इनमें साफ दिख रहा है।
यहां एक और पहलू का जिक्र करना भी जरूरी हो जाता है वह सोशल मीडिया है। सोशल मीडिया भी प्रवासियों को गौं-गुठ्यार लाने में मजबूत हथियार के रूप में काम कर रहा है। और भी अच्छी बात यह है कि युवाओं का झुकाव व लगाव भी सोशल मीडिया की तरफ तेजी से बढ़ रहा है। इससे युवा इनोवेटिव भी हो रहे हैं और स्किल डेवलेपमेंट भी हो रहा है। तरूण बताते हैं कि पहाड़ के ऐतिहासिक मठ-मंदिरों की थाह लेना आसान नहीं है। इनकी जिनकी थाह लोगे उतना ही उलझते जाओंगे। आस्था का कोई छोर नहीं होता है। यह तो वह अहसास है जो तन व मन में भक्ति की अखंड जोत प्रज्ज्वलित कर देता है।