गुलदार होंगे अब हिंसक और सरकार लगाएगी इंसानी गोश्त की कीमत |अजय रावत, वरिष्ठ पत्रकार
सिटी लाइव टुडे, अजय रावत, वरिष्ठ पत्रकार
ज़ाहिर सी बात है दावानल के चलते जंगल में मौजूद पक्षी और हिरण जैसे अधिकांश भोले भाले जानवर अपनी जान गंवा देते हैं। लेकिन गुलदार, चीता जैसे फुर्तीले,चुस्त व बलशाली जानवर जान बचाने में कामियाब हो जाते हैं। ऐसे में वह वनाग्नि से महफूज़ आदम बस्तियों के निकट शरण ले लेते हैं और पेट की क्षुदा मिटाने को इंसानों पर हमला करने को मजबूर भी हो जाते हैं। पौड़ी जनपद के एक जंगल से घिरी बस्ती में बीते एक पखवाड़े में गुलदार द्वारा एक दर्जन से अधिक मुर्गों का शिकार करने का मैं स्वयम साक्षी हूँ,, यानी कि भूखे गुलदार शिकार के लिए नए विकल्पों की तलाश करने को मजबूर हैं।
गत दिवस, गढ़वाल जनपद की पौड़ी तहसील की बनेलस्यून पट्टी के एक गांव में गुलदार द्वारा घर के अंदर घुस एक युवक को जख्मी किये जाने की घटना भी गुलदारों के भूखे होने की इन्तेहाँ का सुबूत है..
दुर्भाग्य की बात यह कि हमेशा की भांति गुलदार इंसानी जानों को लीलते रहेंगे, कुछ दिन रस्मअदायगी भर को जंगलात महकमें के कारिंदे इलाके में गश्त कर आपका दिल बहलायेंगे, लेकिन किसी ठोस कार्रवाई की उम्मीद न कभी थी न कभी होगी.. वहीं, दुर्भाग्य से कोई बेहद अनहोनी घटना हुई तो सरकार बहादुर व जंगलात महकमा इंसानी गोश्त की कीमत लगाकर सहानुभूति का स्वांग रचेगा.. और वारदातें फिर बदस्तूर ज़ारी रहेंगीं.. ऐसे में अब “वन संरक्षण अधिनियम” व “वन्य जीव संरक्षण अधिनियम” की समीक्षा कर “फारेस्ट फायर” व “मैन ईटर लेपर्ड” को लेकर संवंधित अफसरों पर रेपोन्सिबिलिटी फिक्स करना अनिवार्य हो गया है।