कल्जीखाल| ठंगरधार पर भी पलायन की मार| खाली-खाली गौं-गुठ्यार| जगमोहन डांगी की रिपोर्ट

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सिटी लाइव टुडे, कल्जीखाल, जगमोहन डांगी


पलायन की मार से पहाड़ खाली हो रहा है। पहाड़ का हर गांव पलायन की मार झेल रहा है। जनपद पौड़ी के ठंगरधार गांव पर पलायन की मार इस कदर पड़ी है कि गांव केवल नाम का रह गया है। अभी इस गांव में केवल एक बुजुर्ग दंपत्ति रह रही और यह दंपत्ति भी पलायन करने की तैयारी में है। खास बात यह है कि यह गांव पलायन आयोग की सूची में है लेकिन पलायन आयोग भी कुछ नहीं कर पाया है।

प्राकृतिक संुदरता से लबरेज पौड़ी जिले के बहुत से गांव लगातार पलायन के कारण वीरान हो गए हैं। पलायन अलग-अलग कारणों से हुए कुछ रोजगार के लिए कुछ बेहतर अपने बच्चों शिक्षा और कुछ बुर्जुगों के स्वास्थ्य के कारण लेकिन कल्जीखाल विकास खण्ड के अंतर्गत मनियारस्यू पट्टी के ठंगरधार गांव सड़क जैसी मूलभूत सुविधा के अभाव में पूरी तरह पलायन हो गया एक बुर्जुग दम्पति गांव में जाने की तैयारी में है। कभी तोर जैसी दलहन की खेती के लिए प्रसिद्ध गांव ठंगरधार में खूब चहल पहल रहती थी गांव में प्राथमिक विधायलय बंद हो गया एक दशक पहले नजदीक 200 मीटर पर हाई स्कूल भी है। जहां बच्चों के जनसंख्या न के बराबर है।

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कभी गांव राज्य बनने से पहले कबीना तब के कबीना मंत्री मोहन सिंह गांववासी जी एवं तत्कालीन जिलाधिकारी प्रभात कुमार सारंगी भी 5 किलोमीटर दूरी तय कर आए थे। गांव पलायन आयोग की माइग्रेट सूची में सम्लित है। लेकिन आजतक पलायन आयोग ने आंकड़े ही उलपब्ध किए किया कुछ नही पलायन रोकने के लिए।

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