श्रीनगर| धन दा को बड़ी चुनौती देते गोदियाल| मोहन बिगाड़ सकते गणेश का हाल| साभार-वरिष्ठ पत्रकार अजय रावत
सिटी लाइव टुडे, साभार-वरिष्ठ पत्रकार अजय रावत
सूबे में तीन सूबेदार बदले, लेकिन धनदा तीनों के अघोषित नायब-सूबेदार बने रहे। उनकी धमक और चमक टीएसआर1 से टीएसआर2 ही क्या पीएसडी तक खूब रही। इसमें दोराय नहीं कि धनदा इन पांच सालों में सबसे मजबूत बजीर रहे, यह दीगर बात है उन पर या उनके सिपह-सालार पर सहकारिता जैसे महकमें में तथाकथित तौर पर जबरदस्त गड़बड़ घपलों के आरोप भी गाहे-ब-गाहे लगते रहे।

2017 में श्रीनगर के मैदान-ए-जंग में जो लड़ाके थे शायद इस मर्तबा भी वही होंगे। 2017 में धनदा ने 30816 मतदाताओं का विश्वास हासिल किया था। वह एक रसूखदार बजीर रहे,लेकिन क्षेत्र में उनके प्रति निःसंदेह कुछ एन्टी इनकैमबेंसी का माहौल भी बना है। हालांकि बीते एक पखवाड़े में जिस मुस्तैदी व संजीदगी से वह क्षेत्र में बने हुए हैं उससे एन्टी इनकैमबेंसी किसी हद तक न्यूट्रेलाइज़ होती नजर आ रही है, फिर भी दबी जुबान से उनके कुछ कट्टर समर्थक भी इस बात को लेकर नाराज़ दिखाई देते हैं कि मंत्री के साथ संवादहीनता रही है जिसके लिए वह मंत्री के निजी स्टाफ को काफी हद तक दोषी मानते हैं।

वहीं श्रीनगर को नगर निगम का दर्जा बनाये जाने को लेकर भी पूर्ववर्ती नगर पालिका क्षेत्र में असंतोष है। शिवानंद नौटियाल और निशंक तक को जमीन सुंघाने वाले राठी जनमानस की नाराजगी को कम न किया गया तो धन दा की राहें इतनी आसान न होंगी। गणेश गोदियाल के कांग्रेस का प्रांतीय अध्यक्ष बनने के बाद स्वाभाविक तौर पर उनका कद बढ़ा है, सियासत संभावनाओं की दुनिया है, हो न हो, उनके विधायक बनने और कांग्रेस के बहुमत में आने की दशा में सूबे की कमान उनके हाथ आ जाये, वहीं राठ के प्रति उनकी निष्ठा और सौम्य व्यक्तित्व उनकी संभावनाओं को बल प्रदान करता है। बतौर कांग्रेस अध्यक्ष गोदियाल यदि भाजपा व धनदा के खिलाफ़ उपजी एन्टी इनकैमबैंसी को भुनाने में थोड़ा भी कामियाब होते हैं तो 2017 में 22118 के आंकड़े को वह 30 हज़ार पार करने की कुब्बत रखते हैं।

वहीं यूकेडी के प्रत्याशी व संसाधनों के धनी मोहन काला इस सीट पर परिणाम को निर्णायक रूप से प्रभावित करने की सामर्थ्य रखते हैं। 2017 में 4854 मत प्राप्त कर उन्होंने अपना लोहा मनवाया था। सोशल इंजीनियरिंग पर यकीन करें तो मोहन ब्राह्मण वर्ग से आते हैं, लिहाज़ा वह गणेश गोदियाल को ही अधिक नुकसान पंहुचाएँगे, भले ही 2017 में उनको मिले मतों की संख्या धन दा और गोदियाल के मध्य जीत हार के अंतर की आधी थी लेकिन इस मर्तबा जीत हार का अंतर निश्चित रूप से कम रहेगा, ऐसे में यदि मोहन ज्यादा आगे बढ़ते हैं तो चुनावी गणित धनदा के मुफ़ीद हो सकता है। बहरहाल सतही तौर पर राठ की इस पावन धरती पर भगवान राहु गणेश पर मेहरबान नज़र आते हैं, लेकिन मतदान होते होते राहु की वक्रदृष्टि धनदा से हटकर कहीं और न शिफ़्ट हो जाये, कहा नहीं जा सकता..