कोटद्वार: हरक रणछोड़ बनते तो कौन होगा सेनापति|साभार-वरिष्ठ पत्रकार अजय रावत

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सिटी लाइव टुडे-वरिष्ठ पत्रकार अजय रावत

कोटद्वार में वर्तमान में भगवा सेना की अगुवाई कर रहे डॉ हरक सिंह रावत ने कोटद्वार के रण को छोड़ने के संकेत दिए हैं लिहाज़ा भगवा सेना के समक्ष एक बड़ी मुसीबत आ खड़ी हुई है। बाबा सिद्धबली के दिव्य संरक्षण वाले गढ़वाल के द्वार में पंजा छाप सेना के सेनापति इस मैदान-ए-जंग के जांबाज़ रणबांकुरे ही नहीं बल्कि इस मैदान की रग रग से वाकिफ़ भी हैं। ऐसे में यह धारणा बनने लगी है कि 2022 के रण में कोटद्वार के किले को एक बार फिर सुरेंद्र सिंह फ़तह कर लेंगे।


कोटद्वार के किले पर अपना कब्जा बरकरार रखने के लिए भगवा सेना को यहां एक बेहद चमत्कारी सेनापति की दरकार होगी। कहते हैं कि हरक के बाद यहां धीरेंद्र चौहान व शैलेन्द्र बिष्ट उर्फ गढ़वाली भगवा ध्वज के झंडाबरदार बनने की तमन्ना पाले हुए होंगे, लेकिन जिस चमत्कार की दरकार इस वक़्त बीजेपी को होगी वह चमत्कार इतने कम समय में इन दोनों के वश में होगा, इसे लेकर सवालिया निशान हैं।
यदि वास्तव में हरक रणछोड़ होते हैं तो पूर्व में इसी मैदान में किस्मत आजमा चुके सांसद अनिल बलूनी तुरुप का पत्ता तो साबित हो सकते हैं लेकिन क्या राज्य सभा का सांसद होने के नाते भाजपा अथवा वह स्वयं वह इस दांव को खेलेंगे..?

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और यदि खेलेंगे तो शायद इसी शर्त पर कि जादुई आंकड़ा पार करने की दशा में पार्टी उन्हें ही सूबे की सूबेदारी देगी.. ऐसे में इस विकल्प के कयास तो लगाए जा सकते हैं लेकिन इसकी उम्मीद बेहद कम है। वहीं एक एंगल यह भी कि यदि कांग्रेस यमकेश्वर में शैलेन्द्र रावत को ड्राप करती है तो भाजपा आनन फानन में अपने पुराने साथी को घर वापसी करवा ले तो कोटद्वार के मुकाबले का काफी रोमांचक होना तय है। देखना है भाजपा कोटद्वार में कांग्रेस को वॉकओवर देती है या फिर इस किले पर कब्ज़ा बनाये रखने को कोई भी दांव आजमाती है।

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