ओलंपिक में भारत को पदक | मीराबाई चानू ने झटका रजत पदक |पढ़िये पूरी खबर
सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस, विकास श्रीवास्तव
टोक्यो ओलंपिक में मीराबाई चानू ने रजत पदक झटक कर देश का सीना चैड़ा कर दिया है। मीराबाई चानू ने वेटलिफ्टिंग में भारत को रजत पदक दिलाया। मीराबाई ने 49 किलोग्राम वर्ग में भाग लेकर ये सफलता प्राप्त की।
मीराबाई चानू ने स्नेच में बेहतर प्रदर्शन करते हुए दूसरा स्थान पाया था। स्नैच इवेंट में चानू दूसरे स्थान पर रहीं। उनके तीन में से दो प्रयास सफल रहे। उन्होंने पहले प्रयास में 84 किलो और दूसरे में 87 किलो वजन उठाया। चीन की वेटलिफ्टर हाऊ झिहू पहले स्थान पर रहीं। फिर क्लीन एंड जर्क चानू ने 115 किलो वजन उठाया। चानू 2017 में विश्व चैंपियन भी रही।
क्लीन एंड जर्क राउंड की शुरुआत मीराबाई चानू ने 110 किलो वजन उठाकर की। उन्होंने दूसरे प्रयास में 115 किलो वजन उठाया। वहीं तीसरे प्रयास में 117 किलो वजन उठाने में नाकाम रहीं। दूसरी ओर चीनी वेटलिफ्टर ने क्लीन एंड जर्क में 116 किलो का भार उठाते हुए स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया।
एक नजर मीराबाई चानू पर
8 अगस्त 1994 को जन्मी और मणिपुर के एक छोटे से गाँव में पली बढ़ी मीराबाई बचपन से ही काफी हुनरमंद थीं। उनका गांव इंफाल से कोई 200 किलोमीटर दूर था। उन दिनों मणिपुर की ही महिला वेटलिफ्टर कुंजुरानी देवी स्टार थीं और एथेंस ओलंपिक में खेलने गई थीं। बस वही दृश्य छोटी मीरा के जहन में बस गया और छह भाई-बहनों में सबसे छोटी मीराबाई ने वेटलिफ्टर बनने की ठान ली। मीरा की जिद के आगे माँ-बाप को भी हार माननी पड़ी। 2007 में जब प्रैक्टिस शुरू की तो पहले-पहल उनके पास लोहे का बार नहीं था तो वो बाँस से ही प्रैक्टिस किया करती थीं।
गाँव में ट्रेनिंग सेंटर नहीं था तो 50-60 किलोमीटर दूर ट्रेनिंग के लिए जाया करती थीं। डाइट में रोजाना दूध और चिकन चाहिए था, लेकिन एक आम परिवार की मीरा के लिए वो मुमकिन न था। उन्होंने इसे भी आड़े नहीं आने दिया। 11 साल में वो अंडर-15 चैंपियन बन गई थीं और 17 साल में जूनियर चैंपियन। जिस कुंजुरानी को देखकर मीरा के मन में चैंपियन बनने का सपना जागा था, अपनी उसी आइडल के 12 साल पुराने राष्ट्रीय रिकॉर्ड को मीरा ने 2016 में तोड़ा- 192 किलोग्राम वजन उठाकर। हालांकि सफर तब भी आसान नहीं था क्योंकि मीरा के माँ-बाप के पास इतने संसाधन नहीं थे।