उत्तराखंड में भूमि कानून निष्क्रिय | राजनीति की भेंट चढ़ा विकासं
सिटी लाइव टुडे, भगवान सिंह रावत, ऋषिकेश
अपने उत्तराखंड में सरकार किसी की भी रही हो जनता की भावनाओं व उम्मीदों पर पानी फेरने में किसी ने भी कमी नहीं की है। अपने-अपने सियासी लाभ के लिये उम्मीदों को हाशिये पर धकेला गया। ऐसे में जनता स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रही है। भूमि कानून की बात करंे तो इसमें भी जनता को छला ही गया है।
वर्तमान और पूर्ववर्ती राज्य सरकारों ने उत्तराखण्ड के भूमि कानून के साथ खिलवाड़ ही किया है। वर्ष 2018 में राज्य में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए,बाहरी व्यक्तियों द्वारा 250 वर्ग मीटर की खरीद की सीमा को भी हटा दिया गया जिससे यह कानून निष्क्रिय सा हो गया।
उत्तराखंड राज्य आंदोलन का मकसद यही था कि इस पर्वतीय क्षेत्र वाहुल्य प्रदेश का समग्र विकास होगा। दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि प्रदेश में सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस रही हो या फिर भाजपा किसी ने भी गंभीरता से नहीं लिया , जो उत्तराखण्ड के सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित विकास को बढ़ावा देते!
फिर चुनाव आने वाले है और दोनों दलों द्वारा फिर वादे किये जायेंगे! फिर जीता जायेगा, फिर छला जाएगा, फिर चुनाव, फिर चुनाव, यह सिलसिला जारी रहेगा!