कहीं आप मांगलिक तो नहीं | जानिये मंगल दोष के प्रभाव | पढ़िये पूरी खबर

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 जन्मकुंडली में लग्न भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव, द्वादश भाव में मंगल हो तो आप मांगलिक है

विवाह और वैवाहिक जीवन सबसे ज्यादा प्रभाव डालता है मंगल-दोष 

सिटी लाइव टुडे, हरिद्वार 

ज्योतिष शास्त्र  में ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति, दिशा व दशा वगैरह-वगैरह का बड़ा महत्व व प्रभाव बताया गया है। यहां तक कहा जाता है कि सृष्टि की हर घटना के पीछे ग्रहों का ही असर होता है। हर ग्रह की अलग-अलग प्रकृति-प्रवृत्ति व प्रभाव आदि होता है। यहां हम मंगल ग्रह के बारे में जिक्र कर रहे हैं यानि कि मंगल दोष की। पेश है सिटी लाइव टुडे की रिपोर्ट।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्मकुंडली में लग्न भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव, द्वादश भाव में यदि मंगल स्थित हो तो कुंडली में मंगल दोष होता है। मंगल दोष का सबसे ज्यादा नेगेटिव प्रभाव विवाह और वैवाहिक जीवन पर पड़ता है। विवाह में देरी व बाधा, वैवाहिक जीवन में कलह आदि इसके सामान्य प्रभाव है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगल ग्रह की प्रवृत्त्वि व प्रकृति रिश्तों व मस्तिष्क पर आधिपत्य रखने की है। सभी जातकों के लिए मंगल की स्थिति बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। 

ऐसे होता है मंगल का प्रभाव 

जन्म-कुंडली में जब मंगल खास भावों से जुडें हो तो यह नकारात्मक प्रभाव डालता है। मंगल दोष का सबसे ज्यादा प्रभाव विवाह और वैवाहिक जीवन पर पड़ता है। कभी-कभी इसका प्रभाव इतना प्रबल होता है कि वैवाहिक जीवन में विच्छेदन की स्थिति भी बन जाती है। मांगलिक व्यक्ति का विवाह समान भाव मांगलिक व्यक्ति से ही होना उत्तम होता है। जिससे इस दोष का शमन होता है। यदि ऐसा नहीं किया जाता तो समस्याओ का सामना करना पड़ता है।

मंगल दोष का अलग-अलग प्रभाव 

जब लग्न में मंगल दोष होता है तो जातक का स्वभाव अत्यधिक तेज, गुस्सैल, और अहंकारी होता है।

चतुर्थ में मंगल जीवन में सुखों में कमी करता है और पारिवारिक जीवन में दिक्कतें करता है।

सप्तम भाव में मंगल होने से वैवाहिक सम्बन्धों में कठिनाई आती है।

अष्टम भाव में स्थित मंगल विवाह के सुख में कमी, ससुराल के सुख में कमी या ससुराल से रिश्ते बिगड़ जाते हैं।

द्वादश भाव का मंगल वैवाहिक जीवन में कठिनाई, शारीरिक क्षमताओं में कमी, क्षीण आयु, रोग, कलह को जन्म देता है।

ये उपाय करे।

कहते हैं कि उपाय करके मांगलिक दोष को नियंत्रित किया जा सकता है या जिन का विवाह मांगलिक से हो गया है वे भी ये उपाय कर सकते हैं।

सबसे बड़ा उपाय यह है कि जातक अहंकार व क्रोध पर नियंत्रण करने का प्रयास करे।

इसके अतिरिक्त श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें जो पीले कागज पर लाल स्याही से लिखी हो प्रतिदिन श्रद्धा से पाठ करें।

भगवान शिव शक्ति की संयुक्त पूजा करें।

शिवलिंग पर लाल रंग के पुष्प अर्पित करें।

लाल मसूर का मंगलवार को दान करें। गुड़ का दान भी कर सकते हैं।

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मंगलवार को मजदूरों को खाना खिलाएं।

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