तो कोटद्वार में खाकी के लिये अलग कानून बना हैै ? | सुधांसु थपलियाल की रिपोर्ट

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खाकी पर नरम और आम आदमी पर गरम
बिना हेलमेट पहने चल रही है खाकी की सवारी
आम आदमी का
तुरंत हो जा रहा है चालान
सिटी लाइव टुडे, कोटद्वार
| सुधांसु थपलियाल
क्या कोटद्वार में खाकी ने अपने तरीके से कानून बना लिया है। जब पुलिसकर्मी बिना हेलमेट के वाहन चलाये तो उन पर कार्रवाई नहीं और ऐसा ही जब आम आदमी करे तो चालान। जी हां, कोटद्वार में कुछ ऐसा ही हो रहा है। एक पत्रकार साहब ने यह सवाल खाकी से किया जवाब ऐसा कि पत्रकार साहब ने वहां खिसकना ही उचित समझा।


हुआ यूं कि कुछ पुलिसकर्मी बिना हेलमेट पहने एक वाहन को पकड़कर थाने ले जा रहे थे और वहीं पर एक महिला दरोगा यह सब देख रही थी। इत्तेफाक से पत्रकार से महिला दरोगा से सवाल कर लिया कि पुलिसकर्मियों ने हेलमेट नहीं पहना है चालान क्यों नहीं हो रहा है तो महिला दरोगा का जवाब गले नहीं उतरा। महिला दरोगा ने कहा कि गाड़ी पकड़ते समय यह ज्ञात नहीं होता है कि गाड़ी को थाने लाया जायेगा जिस वजह से सिपाही बिना हेलमेट के गाड़ी को थाने लाया है। कुछ और पूछते ही महिला दरोगा पत्रकार पर ही बरस पड़ी तो पत्रकार साहब भी वहां खिसक लिये।

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यह वही महिला दरोगा है जिसने पिछले दिनों वन एवं पर्यावरण मंत्री हरक सिंह रावत के नियुक्त अस्पताल प्रतिनिधि सुधीर बहुगुणा का भी चालान काट दिया गया था। उस वक्त यह तर्क दिया गया था कि कानून सबके लिये बराबर है, लेकिन सच तो यह है कि कानून पुलिस के लिये अलग और आम आदमी के लिये अलग हो गया। सीधी बात यह कि खाकी के लिये नरम और आम आदमी के लिये गरम। मंत्री जी के प्रतिनिधि का चालान काटने के मामले में उक्त महिला दरोगा को उच्च अधिकारियों द्वारा महिला हेल्पलाइन पर बैठा दिया गया था और चालान काटने के लिए मना कर दिया गया था। इस महिला दरोगा के खिलाफ कई बार शिकायतें हुयीं हैं। लिखित शिकायतें उच्च अधिकारियों तक भी पहंुची हैं लेकिन कार्रवाई के नाम पर महज खानापूर्ति होती रही है। ऐसे में खाकी पर सवाल उठने स्वाभाविक ही हैं।

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