Holi-2025 @ बन रहा ” गजकेसरी योग ” का संयोग| इन राशियों को मिलेगा विशेष लाभ|Click कर पढ़िये पूरीNews
सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस
रंगों का त्योहार द्वार खड़ा है। रंगों का यह त्योहार इस बार बेहद खास है। वजह, इस बार इस पर्व पर खास संयोग बन रहा है जो कि विशेष लाभकारी है। ज्योतिष गणना के अनुसार इस बार होली पर एक खास योग बन रहा है, जिसे गजकेसरी राजयोग कहा जाता है। यह योग विशेष रूप से उन जातकों के लिए शुभ है, जो अपने करियर में तरक्की चाहते हैं। इस राजयोग के प्रभाव से कुछ राशियों के जीवन में बड़े बदलाव आएंगे।

ज्योतिष शास्त्र के जानकार बताते हैं कि होली का पर्व खुशियों और उल्लास का होता है, लेकिन इस बार होली पर एक खास योग बन रहा है, जिसे गजकेसरी राजयोग कहा जाता है। यह योग विशेष रूप से उन जातकों के लिए शुभ है, जो अपने करियर में तरक्की चाहते हैं। इस राजयोग के प्रभाव से कुछ राशियों के जीवन में बड़े बदलाव आएंगे, खासकर उनके जॉब और करियर में। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस खास योग का लाभ दो राशियों को मिलेगा, और इन्हें इस होली के दिन अपनी मेहनत का फल मिलेगा, जिससे जॉब में प्रमोशन की संभावना बढ़ेगी। आइए जानते हैं कौन सी हैं वो भाग्यशाली राशियां।
मकर राशि
मकर राशि के जातकों को भी गजकेसरी राजयोग का पूरा लाभ मिलेगा। इस दौरान आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, और इन्वेस्टमेंट के लिए अच्छे अवसर मिल सकते हैं। साथ ही, किसी मांगलिक कार्य में शामिल होने का मौका भी मिल सकता है।
मिथुन राशि
मिथुन राशि के जातकों के लिए यह समय खुशियों और समृद्धि का होगा। गजकेसरी राजयोग के प्रभाव से धन में वृद्धि, नए अवसरों का आगमन और प्रॉपर्टी से जुड़े मामलों में सफलता मिल सकती है। घर में शुभ काम हो सकते हैं और मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
गजकेसरी योग कैसे बनता है?
गजकेसरी योग एक अत्यंत शुभ और प्रभावशाली राजयोग है, जो ज्योतिष शास्त्र के अनुसार व्यक्ति के जीवन में समृद्धि, सुख, और सम्मान लाने में सहायक माना जाता है। यह योग गुरु (बृहस्पति) और चंद्रमा के विशेष संयोग से बनता है। जब इन दोनों ग्रहों की स्थिति एक साथ अच्छे स्थान पर होती है, तो गजकेसरी योग का निर्माण होता है।
इस योग के निर्माण के लिए गुरु (बृहस्पति) और चंद्रमा का कुंडली में विशेष स्थिति में होना जरूरी है। जब ये दोनों ग्रह एक दूसरे से शुभ दृष्टि या युति बनाते हैं, तो गजकेसरी योग का निर्माण होता है। यह स्थिति कुंडली में किसी विशेष भाव में (जैसे 1, 4, 7, 10 वें घर में) होनी चाहिए।
चंद्रमा को व्यक्ति की मानसिक स्थिति और भावनाओं का प्रतीक माना जाता है। यदि चंद्रमा मजबूत स्थिति में है और गुरु से शुभ दृष्टि प्राप्त करता है, तो यह गजकेसरी योग का निर्माण करता है।
गुरु (बृहस्पति) को ज्ञान, शिक्षा, समृद्धि, और सफलता का कारक माना जाता है। यदि गुरु कुंडली के अच्छे भाव में स्थित है और चंद्रमा के साथ युति करता है, तो गजकेसरी योग बनता है।
इस योग का प्रभाव कुंडली के पहले, चैथे, सातवें और दसवें घरों में विशेष रूप से अधिक होता है। यदि गुरु और चंद्रमा इन घरों में शुभ स्थिति में होते हैं, तो यह गजकेसरी योग को और भी बल प्रदान करता है।