अब मनोवैज्ञानिक बचायेंगे ” हरियाली “| मानव व्यवहार को सुधारने पर Focus | ये है Formula|Click कर पढ़िये पूरी News

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सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस


पारिस्थितिकी असंतुलन वैश्विक चिंता का कारण बना हुआ है। सरकारी प्रयासों व वादों के बाद भी अपेक्षित परिणाम धरातल पर नहीं उतर पा रहे हैं। सवाल यह है कि आखिर व्यवहार को कैसे दुरूत किया जाये जिससे समस्या का समाधान हो सके। जलवायु परिवर्तन को लेकर भी चिंता इधर भी और उधर भी। लेकिन समस्या जस की तस है। लेकिन अब उम्मीद जगी है कि मानव व्यवहार को दुरूस्त होगा। इसके लिये एक सार्थक पहल शुरू हुयी है जो काफी कारगर भी मानी जा रही है।


मनोवैज्ञानिकों ने मानव व्यवहार को ढर्रें पर लाने का कार्य मिशन के तौर पर शुरू कर दिया है। मानव व्यवहार को प्रकृति के अनुरूप बनाने की दिशा में मिशन नवाचार और रचनात्मकता को बढ़ावा देने पर फोकस है। इस बाबत विचारों का मंथन भी हुआ है और इसमें सात समंदर पार से भी मनोवैज्ञानिकों ने अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कर महत्वपूर्ण सुझाव भी प्रस्तुत किये हैं। इस सम्मेलन को नाम दिया आत्म मंथन। आइये आप को सीधे इस सम्मेलन से रू-ब-रू कराते हैं।

दरअसल, बीते 21 दिसंबर को यह सम्मेलन हुआ है। इसमेें जो बातें सामने आयी है उससे आशा की किरण जगी है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन में उत्तराखंड के हरिद्वरार स्थित गुरूकुल कांगड़ी विवि के मनोविज्ञान के विभागाध्यक्ष डा अरूण कुमार ने भागीदारी भी की और बातें व सुझाव प्रस्तुत किये उसका सभी ने एक स्वर में स्वीकारा भी है।
आइये आपको सम्मेलन में ही ले चलते हैं।


आत्ममंथन-एएम मनोवैज्ञानिकों के पेशेवर निकाय (एपीबीपी) ने 21 दिसंबर 2024 को मानव व्यवहार और जलवायु परिवर्तन पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया। पेशेवर मनोवैज्ञानिकों के निकाय का मिशन नवाचार और रचनात्मकता को बढ़ावा देकर मनोविज्ञान को एक शीर्ष पेशे का दर्जा देना है। पृथ्वी पर जलवायु परिवर्तन के महत्वपूर्ण प्रभाव को देखते हुए एपीबीपी ने जलवायु परिवर्तन को कम करने में मानव व्यवहार की भूमिका को बढ़ावा देने के लिए इसका आयोजन किया। नीदरलैंड, यूनाइटेड किंगडम, बहरीन और भारत के प्रख्यात वक्ताओं ने व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर तत्काल कार्रवाई का आह्वान किया। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शिक्षाविदों, पेशेवरों और उद्योगपतियों द्वारा तीन दर्जन सम्मेलन शोध पत्र प्रस्तुत किए गए, जिनमें जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए मानव के आज के व्यवहार में बदलाव की मुख्य रूप से मांग की गई।

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एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर उत्तराखंड की प्रो. (डॉ.) मंजू खंडूरी पांडे ने बताया कि किस तरह मानव व्यवहार हमारे आस-पास हरियाली के विकास में योगदान दे सकता है, ताकि हमारी धरती और मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा हो सके। यूनाइटेड किंगडम की डॉ. मल्लिका शर्मा ने मानव के दैनिक सांस्कृतिक व्यवहार का सुझाव दिया, जिससे जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने में मदद मिली। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार उत्तराखंड के डॉ. अरुण कुमार ने सुझाव दिया कि मानव और पर्यावरण के अनुकूल बातचीत जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित कर सकती है। अंत में बहरीन की प्रो. (डॉ.) कोमल चावला वर्मा ने टिकाऊ भविष्य के लिए मानव व्यवहार को आकार देने की जोरदार वकालत की।

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