AIIMS ऋषिकेश में ‘विश्व एंटीमाइक्रोबियल जागरूकता सप्ताह’ शुरू|Click कर पढ़िये पूरी खबर

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सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस-हरिद्वार

विश्व एंटीमाइक्रोबियल जागरुकता सप्ताह के अंतर्गत एम्स ऋषिकेश के तत्वावधान में अस्पताल परिसर के साथ साथ देहरादून के विभिन्न स्थानों पर कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस अवसर पर एम्स अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर डॉ. संजीव मित्तल ने बताया कि इन कार्यक्रमों का उद्देश्य एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (AMR) के बारे में जनसामान्य में जागरुकता फैलाना और अस्पतालों में इसकी रोकथाम के लिए किए जा रहे उपायों को प्रभावी रूप से लागू करना है।


सप्ताहव्यापी जनजागरुकता कार्यक्रम के तहत दूसरे दिन मंगलवार को एम्स, ऋषिकेश
के ट्रॉमा ब्लॉक और ओपीडी पंजीकरण एरिया में जनसामान्य के लिए जागरुकता कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित की गई। जिनके माध्यम से संस्थान के नर्सिंग अधिकारियों की टीम ने रोल प्ले के माध्यम से रोगियों और उनके परिजनों को संक्रमण नियंत्रण के बारे में जानकारी दी। नर्सिंग टीम ने विशेषरूप से हैंड हाइजीन (हाथों की स्वच्छता), आइसोलेशन प्रिकॉशंस (संक्रमण के नियंत्रण के उपाय) और बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट (चिकित्सा कचरे का प्रबंधन) पर प्रस्तुति दी।


नुक्कड़ नाट्य प्रस्तुति के दौरान नर्सिंग अधिकारियों ने लोगों को बताया कि संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए हाथों की स्वच्छता और व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों का सही उपयोग कितना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, उन्होंने बायोमेडिकल वेस्ट का सही तरीके से निस्तारण और आइसोलेशन प्रिकॉशंस के पालन के महत्व पर भी प्रकाश डाला।


इस कार्यक्रम में कई रोगियों और उनके तीमारदारों ने भाग लिया और उन्होंने इन विषयों पर सवाल भी पूछे। स्वास्थ्य सेवा कार्यकर्ताओं ने सवालों का उत्तर बड़े ही विस्तार से दिया और एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (AMR) और इसके निवारण के तरीकों पर भी चर्चा की। इस दौरान विशेषज्ञ चिकित्सकों ने रोगियों को एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध से संबंधित सभी सवालों का जवाब दिया और इस चुनौती से निपटने के लिए सामुहिक प्रयासों की आवश्यकता को रेखांकित किया।
कार्यक्रम में प्रमुखरूप से एम्स जनरल मेडिसिन विभाग के एडिशनल प्रोफेसर व आयोजन सचिव डॉ. प्रसन्न कुमार पंडा, सीएनओ डॉ. रीता शर्मा, मिस वंदना, डॉ. मनीष शर्मा, जिनो, जितेंद्र सहित एएनएस, एसएनओ और नर्सिंग अधिकारी मौजूद रहे।

देहरादून में बी.एससी नर्सिंग विद्यार्थियों ने नुक्कड़ नाट्य प्रस्तुति से दिया संदेश

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उधर, एम्स ऋषिकेश की ओर से देहरादून स्थित श्री अटल उत्कृष्ट राजकीय इंटर कॉलेज, थानो में बी.एससी नर्सिंग विद्यार्थियों द्वारा नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया। जिसमें उन्होंने एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस (AMR) के बारे में जनसामान्य को जागरुकता फैलाने के लिए एक प्रस्तुति दी। नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से छात्रों ने बताया कि कैसे गलत तरीके से एंटीबायोटिक्स का उपयोग AMR को बढ़ावा देता है और इसके निवारण के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं।
कार्यक्रम में डॉ. राखी मिश्रा, डॉ. रूचिका रानी, डॉ. सोनिया, मिस दीपिका और प्रियंका मल्होत्रा मौजूद रहीं। इस दौरान विशेषज्ञों व नागरिकों ने छात्रों की प्रस्तुति के जरिए दिए गए संदेश व सार्थक प्रयासों की सराहना की और बताया कि शिक्षा और समुदाय के सहयोग से ही AMR के खिलाफ लड़ाई को मजबूती मिल सकती है।
IAS चैंपियन वार्ड के लिए आंकलन सत्र
रोल प्ले के बाद एक आइस ब्रेकिंग सत्र का आयोजन किया गया। इस सत्र में एम्स की नर्सिंग फैकल्टी डॉ. मनीष शर्मा ने बताया कि अगले तीन दिनों तक विभिन्न स्वास्थ्य सेवाओं के विशेषज्ञ एम्स के विभिन्न वार्डों का रैंडम आंकलन करेंगे। इस आंकलन का उद्देश्य अस्पतालों में आईएएस (Integrated Antimicrobial Stewardship) से संबंधित सर्वोत्तम प्रथाओं का पालन सुनिश्चित करना है। इसके बाद, सर्वश्रेष्ठ IAS चैंपियन वार्ड का चयन किया जाएगा और उसे सम्मानित किया जाएगा।
डॉ. मनीष शर्मा ने कहा कि, “हमारा उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा कार्यकर्ताओं को प्रेरित करना है, ताकि वह अपने वार्ड्स में IAS से संबंधित सर्वोत्तम प्रथाओं का पालन सख्ती से करें और एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध को नियंत्रित करने के लिए हर संभव प्रयास करें।”
इस सत्र में विशेषज्ञों ने स्वास्थ्य सेवा कार्यकर्ताओं को यह भी बताया कि किस तरह के आकलन और निरीक्षण के माध्यम से अस्पतालों में AMR को कम किया जा सकता है और IAS प्रथाओं के पालन को बेहतर बनाया जा सकता है।
निष्कर्ष
कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ. प्रसन्न कुमार पंडा ने बताया कि विश्व एंटीमाइक्रोबियल जागरुकता सप्ताह का यह आयोजन एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (AMR) के बारे में जागरुकता बढ़ाने और इसके नियंत्रण के लिए सामुहिक प्रयासों को प्रोत्साहित करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। लिहाजा एम्स, ऋषिकेश और थानो, देहरादून में आयोजित कार्यक्रमों ने न केवल अस्पतालों में कार्यरत स्वास्थ्य सेवा कार्यकर्ताओं को प्रेरित किया, बल्कि समाज के विभिन्न हिस्सों को भी इस गंभीर समस्या के प्रति संवेदनशील बनाया।
इन कार्यक्रमों के माध्यम से यह संदेश भी दिया गया कि एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध से निपटने के लिए हर व्यक्ति, चाहे वह स्वास्थ्य सेवा कार्यकर्ता हो या आम नागरिक सभी को अपनी भूमिका निभानी होगी।

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