” world-mental-health-day” मनोरोग लक्षण, कारण व निवारण पर दी उपयोगी जानकारी| Click कर पढ़िये पूरी News
सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस
” world-mental-health-day” 2024 गुरूवार यानि 10 अक्टूबर को पूरे विश्व में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया गया। मानसिक रोगों के बढ़ते ग्राफ पर चिंता जताते हुये इसके कारण व निवारण पर फोकस रहा। हरिद्वार स्थित गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय, हरिद्वार के कन्या गुरुकुल परिसर के मनोविज्ञान विभाग में भी विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के मौके पर बेहद उपयोगी कार्यक्रम हुआ। इसमें वक्ताओं ने अपने-अपने तर्कों व तथ्यों के आधार पर मानसिक रोगों को लेकर जानकारी साझा की।
कार्यक्रम में कार्य स्थल पर मानसिक स्वास्थ्य” विषय पर व्याख्यान का आयोजन हुअइा। मनोविज्ञान विभाग में आयोजित इस कार्यक्रम का मुख्य फोकस मनोरोगों पर ही रहा। कार्यक्रम में अतिथि व्याख्याता के रूप मे विभाग मे डा॰ संध्या जैन, डा॰ मजूंषा कौषिक और डा॰बबीता शर्मा उपस्थित रही। अतिथि व्याख्याता ने कहा कि जैसा तन वैसा मन, तन को तो स्वस्थ रखने के हम कई प्रयास करते है, अच्छे से अच्छे चिकित्सक को दिखाते है, पर मन की अस्वस्थता को हम स्वीकार नही कर पाते है। जिसकी वजह से मानसिक अस्वस्थता एक मानसिक विकृति या मानसिक रोग के रूप में दिखायी देती है जिसे हम काला जादू या किसी ने कुछ कर दिया है नाम देते है।
जिसकी वजह से व्यक्ति का व्यवहार व बातचीत के तरीके मे परिवर्तन दिखायी देता है। मानसिक स्वास्थय को बेहतर समझने और सेवाओं को बढावा देने के लिए मानसिक स्वास्थ्य फेडरेशन ने 1954 में रिर्चड हन्टर द्वारा 10 अक्टुबर को पहली बार मानसिक स्वास्थ्य दिवस मानाने का तय किया। तभी से हर साल यह दिवस मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता व मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धी सेवाओ को बढाने के उद्देष्य से मनाया जाता है। इस दिवस की हर साल थीम अलग होती है जिससे उसी विषय पर चर्चा व परिचर्चा की जा सके। इस साल 2024 की थीम “कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य” है।
इसी आधार को ध्यान में रखते हुये डा॰ संध्या जैन ने बी.ए. एवं एम.ए. के विद्यार्थियों के साथ कई तरह की मानसिक स्वास्थ्य सम्बधित समस्याओं को कैसे हल किया जाये बताया। डाॅ॰ संध्या ने बताया कि कैसे आई सी डी, डी एस.एम. के आधारों पर मनोवैज्ञानिक विकारों को पहचान सकते है, कैसे कम से कम प्रश्नों को पूछ कर व्यक्ति की समस्या के मूल कारण की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। डाॅ॰ संध्या ने बताया कार्यस्थल पर तनाव को कैसे सन्तुलित किया जा सकता है,
इसके साथ ही सामाजिक रिश्तों को अच्छे से कैसे पल्लवित करना चाहिए, जिससे तनाव के स्तर को कम किया जा सकता है। इसी विषय पर डाॅ बबीता जी ने कार्यस्थल तनाव के कई उदाहरण दे कर विद्यार्थियों की जिज्ञासा को शांत किया। डाॅ बबीता ने तनाव के विशय में बताते हुए कहा कि व्यक्ति को सामंजयस्ता के साथ कार्य को करना चाहिए और यदि कार्य का भार ज्यादा हो तो उसको कम करने के विशय में अपने पदाधिकारियों से बात करनी चाहिए। डाॅ॰ मंजूषा ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कार्यस्थल पर व्यक्ति को आत्मसंतुलन के साथ कार्य करना चाहिए और अपनी समस्याओं के समाधान के लिए अपने कार्यस्थल के साथियों से वार्तालाप करनी चाहिए।
डाॅ॰ संध्या ने इसी विषय पर आगे बताते हुए कहा कि नैतिक षिक्षा हमारे जीवन के तनाव को सन्तुलित करने में सहायक होती हैं। इसी कार्यक्रम को अग्रसर करते हुए छात्राओं ने भी मानसिक स्वास्थ पर अपने विचारों को व्यक्त किया तथा अपने विचारों को पोस्टर के माध्यम से व्यक्त किया। इस विषय पर विभाग द्वारा कला थैरेपी की कार्यशाला का भी आयोजन किया गया। पोस्टर प्रतियोगिता में रोहिणी कुमार, कैसर तथा झंकार ने क्रमशः प्रथम, द्वितिय तथा तृतीय स्थान प्राप्त किया समीक्षा पाल ने सान्तवना पुरस्कार प्राप्त किया। कार्यक्रम का संचालन विभाग प्रभारी डाॅ सुनीता रानी, डाॅ ऋचा सक्सेना तथा डा॰ पारूल मलिक ने किया। दीपा साहू, हरिराम तथा शोधार्थी मणिका गुप्ता का सहयोग रहा।