सही है @ न भै हमरु बसै न रे मंहगी जिंदगी| कमल उनियाल की रिपोर्ट

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सिटी लाइव टुडे, कमल उनियाल, द्वारीखाल


सस्ता जमाना क बाटू हिरदी रेगे जिंदगी। कन के ठेलण अब भारी गरी होइगे जिंदगी, न भै हमरु बसा न रे मंहगी जिंदगी, आटु चौंल मंहगू होइगे मंहगी दाल तेल, सस्ता जमानो क बाटू हिरदी रेगे जिंदगी, नरेंद्र सिह नेगी गाया यह गीत अब गरीब और मध्यम वर्गीय लोगो के लिए व्यथा वन के रह गयी है। सचमुच बहुत पहले गाया यह गीत गरीब परिवारांे पर आज के महंगाई के दौर में सटीक बैठता है। क्योंकि अब गरीबी भुखमरी बेकारी का घुल रहा है जिससे गरीब और मध्यम वर्गीय का जीना दुश्वर हो गया है।


ग्रामीण शेर सिह, प्रदीप कुमार दीपक कुमार अजय का कहना है कि आटा तेल दाल चावल सब्जी यहाँ तक किराया भी महंगा हो गया है महंगाई की लाठी ऐसी पड रही है कि इसकी आवाज किसी को नही सुनाई दे रही है।

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गृहणी राधिका देबी, जानकी देबी पूनम देबी का कहना है कि सभी खाने की सामाग्री से लेकर रसोई गैस महंगी हो गयी है शाम को चूल्हा जगानी भी दूभर हो रहा है। कहाँ चुनाव के वक्त महँगाई कम करने का वायदा किया था पर सब मुंगेरी लाल के हसीन सपने की तरह जनता देखती रह गई। महंगाई रोकने का प्रयास क्यों नही हो रहा है आज आम आदमी अपने आप को ठगा महसूस कर रहा है।

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