यहां से कोटद्वार का सफर हुआ महंगा और वक्त भी लग रहा ज्यादा| लालढांग से अनिल शर्मा की रिपोर्ट
सिटी लाइव टुडे, अनिल शर्मा, लालढांग
बरसाती मौसम ने एक बार फिर मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। सड़कों ने सरकारी मशीनरी की पोल खोल भी दी है। लालढांग-चिल्लरखाल-कोटद्वार-पौड़ी मार्ग भी बारिश की भेंट चढ़ गया हैं। यह मार्ग क्षतिग्रस्त हो रखा है। नतीजतन, वाहनों की आवाजाही बंद होने से यात्रियों को खासी मुुसीबतों से दो-चार होना पड़ रहा है। मजबूरी में लालढांग से कोटद्वार या गढ़वाल जाने वाले राहगीरों को वाया नजीबाबाद या नहर पटरी से गुजरने को मजबूर होना पड़ रहा है। जिसमें समय ज्यादा लग रहा है और किराया भी अधिक लग रहा है।
लालढांग-चिल्लरखाल-कोटद्वार-पौड़ी मार्ग के कुछ हिस्से का भी डामरीकरण किया गया है। यह डामरीकरण भी पूर्व वन मंत्री हरक सिंह के अथक प्रयासों में बाद ही हुआ। लेकिन ज्यादातर हिस्सो डामरीकरण की बाट जोह रहा है। खास बात यह है कि इस मार्ग में पड़ने वाले सिगड्डी सोत्र ओर मेहली सोत्र नदियों में पुल का निर्माण नहीं किया गया है। पुल निर्माण में वन अधिनियम कानून और रास्ट्रीय हरित बाघ प्राधिकरण के अड़ंगा होने से कार्य को रोक दिया गया था। दर्जनों गांवों के ग्रामीण इन और ओर मार्ग के डामरीकरण की मांग करते आये हैं। पिछले दिनों से पहाड़ी क्षेत्रों में बारिश होने से दोनों बरसाती नदियां डराने लगी हैं। बारिश होने से मार्ग कई स्थानों पर छतिग्रस्त हो चुका है।
नतीजा यह है कि कोटद्वार जाने वालों की वाया नजीबाबाद या फिर नहर पटरी से जाने की मजबूरी बन बैठी है। जाहिर सी बात है कि वक्त भी अधिक लग रहा है और जेब भी ढीली करनी पड़ रही है। गौर करने वाली बात यह है कि सबसे ज्यादा मुसीबतेेें कॉलेज जाने वाले छात्र-छात्राओं को झेलनी पड़ रही है। लालढांग क्षेत्र के जागरूक नागरिक नवीन चमोली, सुदन डबराल, रघुवीर सिंह, अनिल शर्मा, जितेंद्र नाथ, बिजेंदर गोयल, मोहित टाक, कपिल, विकास आदि बताते हैं कि लालढांग क्षेत्र के ज्यादातर दुकानदार कोटद्वार से ही सामान लाते हैं। इसके अलावा ग्रामीण भी सामान भी कोटद्वार से लाते हैं। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में बड़ी तादाद में सेवानिवृत्त सैनिक हैं, जिनकी कोटद्वार की कैंटीन से सेवा लेते हैं। इससे पूर्व सैनिकों की परेशानी भी बढ़ गयी हैं।