बलबीर सिंह राणा अडिग की पुस्तक ‘सरहद से अनहद’ का विमोचन| पढ़िये पूरी खबर

Share this news

CITY LIVE TODAY, MEDAI HOUSE. DEHRADUN

युद्ध और साहित्य के मोर्चे पर एक साथ डटे बलबीर सिंह राणा ‘अडिग’ की पुस्तक ‘सरहद से अनहद’ का रविवार को धाद के बैनर तले मालदेवता स्थित स्मृति वन में विमोचन किया गया। इस मौके पर अडिग जी ने अपनी कविता ‘चैन की नींद वतन सोता है, जिन वीरों के पहरे में’ का पाठ भी किया। कार्यक्रम में गढ़वाल राइफल में कार्यरत राणा के साथी भी मौजूद थे।


साहित्यकार डा. नंद किशोर हटवाल ने पुस्तक की समीक्षा करते हुए कहा कि राणा अडिग जी बहुत संवेदनशील कवि हैं, जो अनुशासित सैन्य जीवन के बावजूद समाज की विसंगतियों को भी दृढृता के साथ अपनी कविताओं में बयां कर रहे हैं। साहित्यिक पृष्ठभूमि के न होने के बावजूद अडिग ने जहां अपनी कविता ‘आड़’ के माध्यम से मां भारती की रक्षा के लिए समर्पण की बात कही है, वहीं छुट्टी में घर आने और बच्चे को देखकर जो भाव मन में उमड़ते हैं, उसको भी खूबसूरती से कविता का लिबास पहनाया है।

साहित्यकार देवेश जोशी ने कहा कि बलबीर राणा अडिगकी कविताएं कहीं से भी इस बात का बोध नहीं कराती कि वह साहित्य से अछूते हैं। ऐसा लगता है कि साहित्य उनके दिल में रचा-बसा है। भाषाविद् रमाकांत बेंजवाल ने कहा कि राणा जी की कविताएं जीवन के बहुत करीब हैं। मुख्य अतिथि पद्मश्री जागर गायिका बसंती बिष्ट ने राणा जी को महिलाओं के जीवन पर भी कविताएं लिखने को प्रेरित किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए धाद के केंद्रीय अध्यक्ष लोकेश नवानी ने अडिग की कई कविताओं का जिक्र करते हुए उन्हें संवेदनशील कवि बताया।

ad12

इस मौके पर साहित्यकार शूरवीर रावत, कैप्टन धर्मेंद्र राणा, कैप्टन केदार सिंह, कैप्टन रामप्रसाद पुरोहित, कलम मियां, महिपाल सिंह कठैत, कलम सिंह राणा, सरोजिनी देवी, अंजना कंडवाल, रक्षा बौड़ाई, मनोज भट्ट, दर्द गढ़वाली, पुष्पलता ममगाईं, बीना कंडारी, अडिग जी के पारिवारिक लोग, ग्रामवासी, व साहित्य से जुड़े कई गणमान्य लोग मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन शांति प्रकाश जिज्ञासू ने किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *