डा. महेन्द्र राणा | इन तल्ख तेवरों में सियासी “आहट ” तो नहीं | पढ़िये पूरी खबर

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सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस


उत्तराखंड के युवा समाजसेवी डा. महेन्द्र राणा के तेवर वर्तमान सरकार के प्रति जनहित के मुद्दों पर बेहद तल्ख हैं और हमलावार भी । मीडिया, सोसल मीडिया से लेकर ग्राउंड लेबल पर खासी सक्रियता ने उनका सियासी कद बढ़ाने के साथ साथ जनवादी व्यक्तित्व को भी विस्तार दिया है। विपक्ष के बराबर और कई बार तो विपक्ष से ज्यादा सरकार पर तथ्यों के साथ वार करने वाले डा. महेन्द्र राणा के इन तल्ख तेवरों में सियासी आहट भी महसूस की जा सकती है। गाहे-बगाहे ही सही इनकी सियासत में कदमताल करने की भी बातें होती रही हैं। यह बात अलग है कि डा. राणा ने हमेशा सियासी एंट्री को लेकर खामोशी बनायी रखी है।

डा. महेंद्र राणा के लिये जनहित के मुद्दों पर मुखर होना कोई नयी बात नहीं है,लेकिन पारखी नजर से देखे तो पिछले कुछ सालों से वो वर्तमान सरकार के खिलाफ हमलावर होते रहे हैं वह भी बेहद मजबूती के साथ में। वाक्पटुता में माहिर और सरल सहज व्यक्तित्व वाले डा. राणा पहाड़ के ज्वलंत मुद्दों को हथियार बनाकर सरकार से सवाल ही नहीं पूछते रहे हैं बल्कि उन समस्याओं के निराकरण की सलाह भी देते रहे हैं। स्वरोजगार का अच्छा-खासा खाका भी डा राणा ने सरकार को दिया था। हाल में भी भू-कानून और देवस्थानम बोर्ड के मामले में भी उनके द्वारा सरकार पर तीखा हमला किया गया ,जिसे सोशल मीडिया प्लैट्फ़ॉर्म पर काफ़ी समर्थन व सुर्खियाँ मिली ।

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सबसे बड़ी बात यह है कि सामाजिक समस्याओं व जनहित से जुड़े मुद्दों पर मजबूत पकड़ और इन मुद्दों के दर्द को बयां करने का उनका अंदाज एकदम किसी सधे हुये राजनीतिज्ञ से कम नहीं हैं। बिना लाग-लपेटे के कहें तो पिछले एक वर्ष में डा. महेन्द्र राणा को उत्तराखंड की जनता ख़ासकर सोशल मीडिया पर सक्रिय युवा वर्ग के व्यापक समर्थन की मजबूत जमीन तैयार हुयी है जिसे सियासी जमीन के नाम से जाना जा सकता है। ऐसे में उत्तराखंड के चुनाव में नये ताकतवर व उर्जावान चेहरे की जरूरत कई राजनैतिक दलों में जरूर महसूस की जायेगी । अब देखना ये है कि क्या कोई सियासी दल डा. महेन्द्र राणा पर दांव खेल सकता है।बाकी देखते हैं कि उत्तराखण्ड चुनाव 2022 आते आते उनके राजनैतिक भविष्य में क्या कुछ होता है।

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