दिल्ली में नहीं लगा दिल तो दिल से निकले सुर | द्वारीखाल से जयमल चंद्रा की रिपोर्ट

Share this news

सिटी लाइव टुडे, द्वारीखाल-प्रस्तुति-जयमल चंद्रा


इनका दिल दिल्ली में कतई नहीं लगता है। दिल तो बस गढ़वाल-पहाड़ में बसता है। करें भी क्या, ये दिल है कि मानता नहीं। गढ़वाल-पहाड़ में रोजगार है नही ंतो दिल्ली रहना मजबूरी ही समझ लीजियेगा। अब दिल्ली में दिल नहीं लगा तो दिल से सुर निकले गये और गायिकी के हुनर पर पंख लगे गये। गढ़वाल-पहाड़ के प्रति अपनत्व व लगाव इतना कि संकल्प लिया कि साल में कम से कम एक बार पहाड़ जरूर आयेंगे। आते भी हैं और खेत-खलिहानों में खेती भी करते हुये हल भी लगाते हैं।

जिक्र हो रहा है पौड़ी जनपद के द्वारीखाल ब्लाक के चैलूसैंण के जयमल सिंह रावत का। चैलूसैंण क्षेत्र में एक गांव है देवपुरी। इसी गांव के निवासी है जयमल सिंह रावत। शुरूआती शिक्षा गांव में ही ग्रहण की और फिर तलाश थी रोजगार की। पहाड़ में तो मिला नही ंतो चले दिल्ली। जतन करने के बाद दिल्ली में रोजगार मिल ही गया लेकिन दिल नहीं लगा। मजबूरी मंे दिल्ली में रोजगार करने लगे अपने जयमल सिंह रावत।

ad12


लोक-संस्कृति व संगीत के प्रति दीवानगी तो बचपन से ही थी लेकिन इस हुनर को सही मंच नहीं पाया। लिखते थे और गाते भी लेकिन खास पहचान नहीं मिल पायी। आॅडियो कैसेट्स निकालना काफी खर्चीला था सो यह काम भी नहीं हो पाया। इस बीच, अपने जयमल सिंह रावत समय-समय पर गढ़वाल-पहाड़ जरूर आते रहते थे और ये सिलसिला अभी भी जारी है। सोसल मीडिया का प्रचलन आया तो जयमल सिंह रावत की प्रतिभा पर भी करंट दौड़ गया और सोसल मीडिया पर लोक-संस्कृति के प्रचार-प्रसार में शिद्दत के साथ जुट गये। यू-ट्यूब केे जरिये गायिकी के हुनर का लौहा मनवा रहे हैं। उनका लिखा व गाया हुआ सीमा छौरी यू्-ट्यूब पर खूब पसंद किया गया। दूसरा गीत बिंदी बौ भी जल्द आने वाला है। जयमल सिंह रावत सोसल मीडिया के जरिये पहाड़ की समृद्धशाली व वैभशाली संस्कृति के विभिन्न पहलुओं का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। लोक-परंपराओं, संस्कृति, गीतों, भव्य व दिव्य मंदिरों आदि का जमकर प्रचार कर रहे हैं। जयमल सिंह रावत बताते हैं कि पहाड़ जैसा जीवन कहीं और नहीं है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *