राकेश टम्टा | गीत गाता हूं, मुस्कराता हूं मैं
-युवा गायक राकेश टम्टा के सफर पर यह खास रिपोर्ट
-पौड़ी के द्वारीखाल क्षेत्र के निवासी हैं राकेश टम्टा
-सि़द्धपीठ श्री नागदेव गढ़ी के भजन ने दी नई पहचान
द्वारीखाल, सिटी लाइव टुडे
कहते हैं कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती हैं । प्रतिभाहो और अंदाज कुछ ऐसा हो कि गीत गाता हूं मैं, मुस्कराता हूं,,,,,,,,,,,,,,, तो कहने ही क्या। लोक संस्कृति व लोक गायिकी के प्रति गहरे अनुराग ने इन्हें संगीत का दीवाना बना दिया। कुछ ही समय पहले सि़द्धपीठ श्री नागदेव गढी का भजन क्या गाया कि उन्हें नई पहचान मिल गयी। गायन के जानकारों के उनके गायन के हुनर के करीब से पहचाना और माना। इस युवा गायक का नाम है राकेश टम्टा। पेश है सिटी लाइव टुडे की यह रिपोर्ट।
देवभूमि उत्तराखंड के पौड़ी जनपद के द्वारीखाल ब्लाक के बमोली गांव में जन्मे राकेश टम्टा का बचपन से ही संगीत और लोक गायकी से असीम लगाव रहा है। राकेश का संगीत के प्रति गहरा लगाव है और ऐसा ही प्रेम शिक्षा के प्रति भी।
उन्होंने हेमवन्ती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से एमकाम तक की शिक्षा हासिल की। वर्तमान में दिल्ली में निजी कंपनी में कार्यरत हैं। उनके गाये हुए गीत यूट्यूब पर उपलब्ध हैं। इसके अलावा मंचों पर भी राकेश टम्टा बराबर सक्रिय रहते हैं। इस प्रकार अपनी गायकी से राकेश टम्टा गढ़वाल की लोक संस्कृति का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। खास बात यह है कि राकेश टम्टा केवल गायन ही नहीं करते बल्कि उम्दा रचनाकार भी हैं। गीत रचना भी करते हैं और गायन भी। अब है ना कमाल की बात।
वैसे तो राकेश टम्टा अपनी गायिकी का जलवा पहले ही बिखेर चुके थे लेकिन गायन का लौहा तब मनवाया जब उन्होंने सिद्धपीठ श्री नागदेव गढ़ी की महिमा व गरिमा को शब्दों में पिरोते हुये बेहतरीन भजन गाया और यह भजन खूब पसंद किया जा रहा है।
अब जरा सि़द्धपीठ श्री नागदेव गढ़ी के बारे में बताते हैं। सिटी लाइव ने पिछले दिनों सिद्धपीठ श्री नागदेव गढ़ी पर पूरा आलेख पेश किया थां। थोडा जिक्र फिर से करते हैं। लगभग 250 वर्ष प्राचीन सिद्धपीठ श्री नागदेव गढ़ी द्वारीखाल ब्लाक के चेलूसैण के समीप सुंदर प्राकृतिक वातावरण में स्थित है। यहां पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा और अपनी इच्छाओं की पूर्ति हेतु आते रहते हैं। वर्ष में कई बार धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन आयोजित किए जाते रहते हैं। जिनमें निकटवर्ती सभी गांवों के निवासी शामिल होते हैं। सिद्धपीठ श्री नागदेव गढ़ी श्रद्धा का केंद्र है।