Shrimad Bhagwat….सात दिनों तक बही भागवत कथा की ज्ञान सरिता| कृष्णमयी हुई हड़ैत की धरा। द्वारीखाल से जयमल चंद्रा की Report

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सिटी लाइव टुडे, जयमल चंद्रा, द्वारीखाल

उत्तराखंड की देवभूमि अपने धार्मिक अनुष्ठानों व परम्पराओं के लिए जग प्रसिद्ध है। पलायन की मार झेल रहे पर्वतीय गावों मे जून का महीना विशेष महत्त्व रखता है। Shrimad Bhagwat  vपलायन कर चुके प्रवासी अपनी गर्मियों की छुट्टी बिताने अपने – अपने पैतृक गावों का रुख करते हैं।अपने पितरों का आशीर्वाद व कुल देवताओं की पूजा अर्चना का धार्मिक अनुष्ठान कराते हैं। citylivetoday.com समय – समय पर अपने लेखों से पाठकों को अवगत कराता है।

आज भी अपने लेख के माध्यम से द्वारीखाल ब्लॉक के ग्राम सभा दशमेरी का उप ग्राम हडैत में हुए सात दिवसीय भागवत कथा के आयोजन पर प्रकाश डाल रहा है। हड़ैत, 10 परिवारों का एक छोटा गांव है।जो विगत 19 वर्षों से पूर्णतया पलायन की मार झेल रहा है। चारों ओर झाड़ियां उग गयी हैं,मकान भी जर्जर होने लगे हैं।लेकिन 19 Shrimad Bhagwat  साल के उपरान्त इस गांव में भी रौनक हुयी है। प्रवासियों ने यहां का रुख किया और झाड़ियां काटी व सफाई करके पुनः रौनक वापस लौटाई। स्व रामकृष्ण बिंजोला को याद करते हुए उनकी धर्मपत्नी विंदेश्वरी देवी व Shrimad Bhagwat  उनके पुत्र विनोद कुमार और मनोज कुमार द्वारा दिव्य व विशाल सात दिवसीय भागवत कथा का अनुष्ठान कराया गया।

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आचार्य उमाकांत थपरियाल की ओजस्वी वाणी से भागवत कथा की ज्ञान गंगा ने वादियों को गुंजायमान किया।सम्पूर्ण क्षेत्र के अपार भक्त कृष्णमयी होकर तृप्त हुए। 24 जून से 30 जून तक चले इस अनुष्ठान की ज्ञान सरिता में भक्तो की अपार भीड़ ने कुछ ही दिनों के लिए ही सही,एक बार फिर हड़ैत में चहल पहल व रौनक तो बढ़ी है। परन्तु अपने अतीत में कुछ सवाल भी प्रवासियों व रैवासियों को झंझकोरने के लिए छोड़ गयी है। अगर पलायन इसी तरह बद- दस्तूर चलता रहा तो इन सवालों को समझने व इन पर अमल करने की अति आवश्यकता है।

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