पर्यटन| जब खोलोगे दुकान| तभी तो बिकेगा सामान|अजय रावत, वरिष्ठ पत्रकार

Share this news

CITYLIVE TODAY. MEDIA HOUSE

मैदान व महानगरों में गर्मी,भीड़, पॉल्युशन और ट्रैफिक जाम से उकताए लोगों को उत्तराखंड के पहाड़ की आबोहवा की खातिर मुंह मांगा दाम चुकाने से गुरेज़ नहीं,लेकिन हम मसूरी,नैनीताल जैसी पुरानी दुकानों के अलावा इन 20 सालों में एक भी स्तरीय नई दुकान नहीं शुरू कर पाए। हमारे भंडार स्वच्छ व शुद्ध जलवायु से अटे पड़े हैं लेकिन हम उन्हें बेचने में पूरी तरह विफल रहे हैं।


जिस विषैली हवा, कृत्रिम पानी, शोर-ओ-गुल और ट्रैफिक की चिल्लम पों से उकताए लोग हमारे पहाड़ में आते हैं यदि वही सब उन्हें यहां भी झेलना पड़े तो आखिर उन्हें इस देशाटन का हासिल क्या मिलेगा..? आखिर यही सब तो हो रहा है सैलानियों के साथ आज हमारे परंपरागत हिल स्टेशनों में। दबाव वाले दिनों में हरिद्वार, ऋषिकेश, मसूरी व नैनीताल नरक में तब्दील होने लगे हैं।

ad12


इसका एकमात्र हल अब यही शेष है कि ग्रीष्मकाल में उत्तराखंड में पर्यटन हेतु एक रेगुलेटरी एजेंसी बनाई जाए, जो पर्यटकों को हर सम्भव मदद देने के साथ इसे नियंत्रित भी करे। अधिक दबाव होने की स्थिति में पर्यटकों को अपेक्षाकृत कम दबाव वाले नए डेस्टिनेशन का लुफ्त उठाने की आग्रह-युक्त सलाह दें, जिससे कि नए स्थान भी एक्स्प्लोर हों व परंपरागत स्थानों पर अव्यवस्थाएं न पनपे, जो पर्यटकों के सुकून के लिए भी जरूरी है। चूंकि अधिकांश पर्यटकों से आत्म अनुशासन की उम्मीद नहीं की जा सकती है इसलिए बिना व्यवस्था किये “झोला उठा” उत्तराखंड आने वाले सैलानियों हेतु रेगुलेटिंग एजेंसी बनाने पर भी विचार किया जाना अनिवार्य है, यह एजेंसी किसी भी सैलानी को रोके नहीं बल्कि नए व कम भीड़ वाले डेस्टिनेशन में जाने की सलाह दे, जिससे प्रचलित स्टेशन्स में 25 फ़ीसदी भी लोड कम हो तो काफी सहूलियत होगी,साथ ही 25 फीसद व्यापार नए स्थलों की ओर विकेन्द्रीकृत होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *